आज ही के दिन हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया।
कोई भी धर्म ऊंचा या नीचा नहीं है।
भारत भूमि सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे प्राचीन है।
दुनिया में यही ऐसी इकलौती धरती है जिसमें सभी धर्म को संकट के समय आश्रय दिया।
एक हिंदू मुस्लिम या ईसाई बनता है तो एक हिंदू कम नहीं होता बल्कि एक हिंदू विरोधी और बढ़ जाता है।
स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो, अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सर्वभोमिक पहचान दिलवाई स्वामी जी के विचार भारतीय राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए हमेशा प्रदर्शनी रहे हैं।
127 साल पहले आज ही के दिन 11 सितंबर 1893 को स्वामी जी ने शिकागो में सिंह गर्जना की थी। उन्होंने विश्व मानवता की दृष्टि से भारत का जो मार्गदर्शक विचार रखा था वह आज भी प्रासंगिक है आज समूचा विश्व उसको अनुभव कर रहा है।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था मेरी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना मत कीजिए मेरे उपयोगी जीवन के लिए प्रार्थना कीजिए कि मैं जब तक रहूं तब तक समाज जन की सेवा कर उनके लिए उपयोगी बन सकूं।
मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूं जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम संस्कृति दोनों की शिक्षा दी मुझे ऐसे देश का नागरिक होने का अभिमान है, जिसने इस पृथ्वी के समस्त मत – पंथों और देशों द्वारा सताए गए नकार दिए गए और असहाय लोगों को आश्रय दिया है।
– स्वामी विवेकानंद
Veda does not mean any book, it means – accumulated wealth of spiritual truths.
– स्वामी विवेकानंद
वैश्विक स्तर पर सनातन धर्म का प्रचार कर हिंदू संस्कृति को जागृत करने वाले ऐसे धर्म साधक को हमारी तरफ से भी कोटि-कोटि नमन है।