भगतसिंह की नास्तिकता को पढे ,समझे और उसपर अमल करे
नास्तिकता का सिर्फ और सिर्फ एक ही अर्थ होता है किसी अलौकिक शक्ति मे विश्वास न करना और दुनिया मे ऐसा कोई धर्म नही जो अलौकिक मे विश्वास न करता हो ।दरअसल विना अलौकिकता के धर्म टिक नही सकता ।फेसबुक पर बहुत से नास्तिक ग्रुप है वे अलौकिकता के नकारात्मक पक्ष के साथ साथ नैतिकता ,संस्कृति ,कला,रिति रिवाज ,सामाजिक ढाचे का जो सकारात्मक भूमिका निभाते है उनका भी विरोध करने लगते है जो नासमझी के अलावा कुछ भी नही है ।धर्म भी अपने समय कि एक उस समय की समकालीन व्यवस्था की बुराइयों के खिलाफ लडकर ही स्थापित हुआ है इस बात को ध्यान मे रखना चाहिए यह किसी एक चालाक या धूर्त आदमी के दिमाग की उपज कतई नही है जैसा कि बडे बडे नास्तिक दावा करते है ।यह भी याद रखे कि कोई भी आस्तिक शतप्रतिशत आस्तिक नही होता और कोई नास्तिक भी शतप्रतिशत नास्तिक नही होता ।नास्तिक को चाहिए की धर्म की सकारात्मक पक्ष को स्वीकार करे और आस्तिक को भी नास्तिक के सकारात्मक और तार्किक विचार को स्वीकार करना चाहिए ।इस मामले मे भगतसिंह ने हमे बेहतर रास्ता दिखाया है उसी को अनुसरण हमलोगो को करना चाहिए ।हम धार्मिक रहे पर प्रगतिशील धार्मिक रहे मतलब हम प्रगतिशील हिन्दू ,मुसलमान या इसाई बने फिर दुनिया मे कोई विवाद नही होगा।भगतसिंह ने धर्म के तीन हिस्से किये है
1-Essentials of religion अर्थात धर्म की जरूरी बाते अर्थात सच बोलना चोरी न करना हत्या न करना गरीब की मदद करना आपस मे प्यार मोहब्बत से रहना बगैरह बगैरह
2-Philosophy of religion –यानी जन्म मृत्यु पूनर्जन्म ,संसार रचना कर्मफल इत्यादि बातो मे सभी धर्म भिन्न विचार रखते है और इसी बहस मे मारपीट दंगा फसाद होता है ।विज्ञान ने बहुत ही उन्नति कर लिया है इसको समझने के लिए विज्ञान का सहारा लेकर ही इन चीजो को समझा जाय ।
3-Rituals of religion -मतलब हर तरह के रस्मोरिवाज शादी ब्याह मरनी करनी ।ये सबके अलग अलग है इनको अपने विश्वास और संस्कृति के अनुसार करना ।
दुनिया मे शान्ति समानता समाजवाद की स्थापना के लिए भगतसिंह के दिखाये रास्ते पर चलकर ही प्राप्त हो सकता है ।और कोई दुसरा रास्ता नही ।
( लेखक गजानंद सिंह पेशे से चिकित्सक हैं।)