जज ने कहा घटना पूर्वनियोजित नहीं थी…घटना अचानक हुई -जज
आज जज एसके यादव ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बताया कि आडवाणी, जोशी उमा समय सभी आरोपी को बरी कर दिया गया है।
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि बाबरी विध्वंस केस में कुल 49 आरोपी थे जिसमें 17 आरोपियों की सुनवाई के दौरान निधन हो चुका है। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराया गया था और आज 30 सितंबर 2020 को सीबीआई कोर्ट की तरफ से फैसला आया है जिसमें सभी आरोपियों को बरी किया गया।
गौरतलब है बाबरी विध्वंस में दो एफ आई आर दर्ज कराया गया था जिसमें केस नंबर 197/1992 के अनुसार लाखों का सेवकों के खिलाफ सेक्शन 395 397 332 337 338 295 297 153 का एफ आई आर दर्ज कराया गया था। और केस नंबर 198/1992 में उसी दिन दूसरी f.i.r. राम जन्मभूमि पुलिस आउटपोस्ट के इंचार्ज गंगा प्रसाद तिवारी ने शाम 5:25 को या एफ आई आर दर्ज कराई थी उन्होंने अपने बयान में कहा था कि करीब सुबह 10:00 बजे जब वह कार ड्यूटी पर तैनात थे और विश्व हिंदू परिषद का सेवा आयोजित कर रहे थे उसी वक्त उन्होंने देखा कि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, विनय कटियार, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, उमा भारती और साध्वी रितंभरा कथा कुंज के डायस पर बैठे थे और कारसेवकों को अपने भाषण से उसका रहे थे उकसा रहे थे इसके परिणाम स्वरूप का सेवक आवेश में आकर विवादित बाबरी ढांचे को ढहा दिया।
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान और महंत नृत्य गोपाल दास इस मामले में आरोपी थे और वे सभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए थे।
बाबरी विध्वंस केस में विशेष सीबीआई अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें गवाही सुनने के बाद 1 सितंबर को मामले की पूरी सुनवाई कर ली थी 2 सितंबर से फैसला लिखना शुरू किया गया था। इससे पहले वरिष्ठ वकील मृदुल राकेश, आईबी और महिपाल अहलूवालिया ने आरोपियों की तरफ से दाखिले पेश की इसके बाद सीबीआई के वकीलों ललित सिंह आरके यादव और पी चक्रवर्ती ने भी अपनी दलीलें रखी।
28 साल पुराने केस में पूर्व उपमुख्यमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, साक्षी महाराज, साध्वी रितंभरा, विश्व हिंदू परिषद नेता चंपत राय सहित 32 आरोपी थे।