हाथरस काण्ड के बाद जहां प्रदेश की राजनीति गरम है वहीं इसमें यूपी पुलिस और घी डाल रही है। हालांकि इन सब के बीच सपा- बसपा के आम कार्यकर्ता सड़क पर हैं जबकि दोनों दलों के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश छुईमुई की तरह हो गये हैं।
आज यूपी पुलिस के कोपभाजन का शिकार जयंत चौधरी हो गये। हालांकि उन्हें क्या चोट नहीं आयी है क्योंकि उन्हें उनके कार्यकर्ताओं ने ढाल बन कर बचा लिया।
हुआ यू कि राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी हाथरस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे तभी पुलिस आकर डंडा बरसाने लगी तब श्री चौधरी भाग खड़े हुए। भागते जयंत को कार्यकर्ताओं ने घेर लिया बदले में खुद डंडा खाते रहे। गौरतलब हो कि हाथरस मुद्दे पर विपक्ष के सभी नेता अपने स्तर से विरोध कर रहे हैं लेकिन बाप- दादा के नाम पर राजनीति करने वाले डंडा पड़ने पर भाग खड़े हो रहे हैं। कुछ यही गति पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी है। अखिलेश को छुईमुई नेता कहना श्रेस्कर होगा। बहन जी की तो बात ही निराली है। चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती जी ट्वीटर- ट्वीटर खेल रही है। सपा के आम कार्यकर्ता सड़क पर रोज लड़ाई लड़ रहा है जबकि नेताजी के दुलरुआ भी सड़क से गायब है। समाजवाद और दलितवादियों को इस तरह निरीह होना प्रदेश की जनता के लिए सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि कांग्रेस ही विकल्प हो सकती है जिस कांग्रस को कोसकर पुष्पित- पल्लवित हुई पार्टियां आज या तो अपनी धार खो चुकी हैं या सरकार के डर से दुबकी हुईं हैं। कल अपने कार्यकर्ताओं के लिए ढाल बनीं महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा की चर्चा खूब हो रही है।