प्राइवेट महाविद्यालयों,मेडिकल कालेजों की अलग राम कहानी है गाजीपुर गंगा किनारे स्थित शम्मे हुसैनी मेडिकल कालेज एवं ट्रामा सेंटर एनजीटी की अनदेखी का हवाला देकर ध्वस्त कर दिया गया हालांकि अस्सी प्रतिशत हिस्सा गिराये जाने के बाद अस्पताल को उच्च न्यायालय से राहत तो मिल गयी है पर तलवार तो लटकी ही हुई है वहीं मेरठ स्थित मेडिकल कॉलेज का नाम बदलने के बाद इस कालेज का भाग्य का दरवाजा खुल गया है हालांकि यहां किसी मानक का अनदेखी नहीं हुई थी पर इस कालेज का नाम पूर्व रक्षामंत्री/ पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नाम से था जो क ई अड़चन आ रही थी। अब मेडिकल कॉलेज का नाम नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस हो गया है। भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद के अधिक्रमण में शासी बोर्ड (एमसीआई) नए नाम से प्रमाण जारी किया है।
सपा सरकार में बने इस कालेज का नाम बदलने को राजनीतिक कारण से जोड़कर देखा जा रहा है।
जब कॉलेज की नींव रखी गयी तब इसकी संचालक डा० सरोजनी सपा से एमएलसी थीं। प्रदेश में सरकार बदलते ही आने के बाद डॉ. सरोजनी अग्रवाल भाजपा में शामिल हो गईं। अब वह भाजपा सरकार में एमएलसी हैं। सूत्रों की मानें तो नाम बदलने को लेकर कहीं न कहीं मुलायम सिंह यादव का नाम सीटें, मान्यता में अड़चन पैदा कर रहा था। अब नाम बदलने से कॉलेज का विकास तेजी होना माना जा रहा है।
कॉलेज के सभी दस्तावेज में अब नया नाम शामिल हो गया है। कॉलेज में मरीजों की ओपीडी, एमबीबीएस की पढ़ाई चल रही है। वहीं अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया गया है। इसमें कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।