गाजीपुर ।
प्रदेश में गोसेवा केन्द्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं गोवंशी इस बदहाली की मौत मारे जा रहे हैं। आवारा चाहे व्यक्ति हो या पशु यदि वह स्वच्छंद रह कर नहीं जी सकता तो सरकारें इसे आश्रय देकर कितने दिन जीवित रख सकतीं हैं ? गोवंश की दयनीय स्थिति के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाय? सरकार ने इस आश्रय केन्द्र के लिए प्रति पशु जो मानक तय किये हैं वह पशुओं के पेट में जा ही नहीं पाएगा तो वह जीवित कैसे रहेगा?
कुछ ऎसी ही स्थिति जनपद के रेवतीपुर स्थित गोसेवा केन्द्र पर देखने को मिली। पशुओं को सूखा चारा डाला जा रहा है। भोजन के अभाव में निरीह पशु मर जाते हैं। संख्या पुरी रखने के लिए केन्द्र व्यवस्थापक आवारा पशुओं को लाकर रख देता है ताकि सरकारी कागज में किसी भी पशु को मौत न लिखना पड़े। इनकी दयनीय स्थिति को देख कोई समाज सेवी इनके पास जाने से इसलिए भी कतराते हैं कि इनमें से क ई मनबढ़ पशु भी हैं जो सिंग( सिर) उठाकर मारने दौड़ पड़ते हैं।
पशुओं की स्थिति देखकर लौटे विश्व हिन्दू परिषद के एक पदाधिकारी ने व्यथित होकर जो बातें बता रहे थे उसे हूबहू लिख दिया जाय तो हिन्दू खतरे में पड़ जाएगा।