18,वीं सदी में ‘संदिग्ध परिस्थिति’ में कनाडा पहुंची
कनाडा की रजिना विश्वविद्यालय अपनी गैलरी में रख्खी 18 वीं शताब्दी की मूर्ति भारत को वापस कर दिया है। यह मूर्ति ‘संदिग्ध परिस्थितियों में खरीदी गयी’ बतायी जा रही है। कनाडा के मैकेंजी आर्ट गैलरी में मौजूद यह मूर्ति यह यूनिवर्सिटी आफ रेजिना के संग्रह का अब तक हिस्सा थी।
समाचारों के अनुसार वर्ल्ड हेरिटेज वीक की शुरुआत होने के दौरान भारतीय मूल के एक आर्टिस्ट की नजर मूर्ति पर पड़ी और उन्होंने इस का मुद्दा उठाया। इसके बाद कनाडा यह पौराणिक महत्व की मूर्ति अब भारत को वापस सौंपने जा रहा है। इसे देश में लाने की तैयारी की जा रही है। मैकेंजी आर्ट गैलरी में रेजिना विश्वविद्यालय के संग्रह से माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा को अंतरिम राष्ट्रपति और विश्वविद्यालय के उपकुलपति थॉमस चेस ने कनाडा में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया को 19 नवंबर को एक समारोह में सौंप भी दिया है। कनाडा में आयोजित समारोह में मैकेंजी ग्लोबल सर्विसेज एजेंसी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। हालांकि, इस आशय की सूचना संबंधित अधिकारियों और उच्चायोग की सोशल मीडिया पर मौजूद नहीं है। वर्ष 1981 में विंनिपेग, एमबी, कनाडा में जन्मी दिव्या मेहरा वर्तमान में विंनिपेग, कनाडा और भारत में रही हैं। उन्हीं के प्रयासों से यह मूर्ति देश में वापस लाने की सूरत बनी है। आर्टिस्ट दिव्या मेहरा ने इस मूर्ति को देखने के बाद मामला उठाया कि इसे अवैध रूप से कनाडा में लाया गया था। वहीं सक्रियता के बाद उजागर हुआ कि मैकेंजी ने सौ साल पहले भारत की यात्रा की थी और उसी समय वह वाराणसी भी आए और यहां से कनाडा पहुंची मूर्ति के एक हाथ में खीर और दूसरे हाथ में अन्न मौजूद है। माना जा रहा है कि यह मूर्ति काशी की अन्नपूर्णा मंदिर से चोरी कर पहुंचाया गया था। अब यह मूर्ति भारत में वापस आने के साथ ही उम्मीद है कि अन्नपूर्णा दरबार का सौ साल बाद एक अभिन्न हिस्सा भी बन जाएगी। वाराणसी में अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी के अनुसार यह मूर्ति कई दशक पहले वाराणसी से गायब या चोरी हुई थी। अब यह मूर्ति मिलने के बाद उम्मीद है कि काशी के प्राचीन मंदिर में सौ साल पुरानी मां अन्नपूर्णा की यह चोरी की मूर्ति वापस काशी आ सकेगी।