टीकाकरण करने गयी टीम को होना पड़ रहा परेशान
वाराणसी । कोविड़-19 टीकाकरण के लिए सभी को निशुल्क टीकाकरण की घोषणा के बाद भी जागरूकता के अभाव में टीकाकरण के लिए लोग केन्द्र पर कम आ रहे हैं। कम टीकाकरण होने से विपक्ष सरकार को आड़े हाथ ले रही है जबकि हकीकत यह है कि अधिकांश लोग टीकाकरण करवाना ही नहीं चाहते। यह स्थिति गांवों में ज्यादा देखने को मिल रही है। एक तरफ दिल्ली जैसे महानगरों में टीका का अभाव है वहीं गाँवों में पर्याप्त टीका उपलब्ध होने के बाद भी लोग इसे लगवाने में कतरा रहे हैं। गाजीपुर, मऊ ,बलिया,चंदौली,जौनपुर, मिर्जापुर सहित पूर्वाचंल के क ई जिलों से ऐसी खबरें आ रहीं हैं जहां अनावश्यक भय और जागरुकता का वातावरण है। हालांकि टीकाकरण को लेकर गांवों में अंधविश्वास और अफवाह के बीच असना गाँव के कुछ जागरुक युवा प्रिंस उपाध्याय, पवन उपाध्याय, बबुआ सिंह, मनोज शर्मा, शुभम उपाध्याय, अजीत गुप्ता और गोलू उपाध्याय ने वैक्सीन लगवाई।

गाजीपुर जनपद के एक गाँव से खबर आयी है कि वहां टीकाकरण करने गयी टीम दो घंटा बैठ कर चली आयी और एक भी लोग टीकाकरण कराने नहीं आये जबकि मात्र पांच लोगों ने एन्टिजन टेस्ट कराया। वह भी काफी समझाने- बुझाने पर। इसी तरह चंदौली से भी खबरें आ रहीं हैं। युवाओं की टीम जब टीकाकरण कराने पहुँची तो दस लोगों को उपस्थित होने में घंटों लग गये। बात करने पर लोगों ने बताया कि लोगों में भय है कि टीका लगने से लोग मर जाएंगें। कोई अपने रिश्ते के लोगों का नाम लेकर कहता है कि फलाने टीका लगवाये थे,मर गये। उनका कहना है कि जब टीका लगने के बाद भी कोरोना हो रहा है तो क्यों लगवायें ? ऎसे ही जवाब मिल रहा है। ऐसा नहीं है कि हर जगह ऎसा ही है । क ई गाँवों में टीका कराने वाली टीम का टीका कम पड़ जा रहा है। दुसरे दिन दुबारा उस गाँव में टीकाकरण के लिए जाना पड़ रहा है। लेकिन आबादी के हिसाब से जिस गति से टीकाकरण होना चाहिए उस गति से हो नहीं पा रहा है।
