“पापा की अर्थी को जब कंधे पर उठाया,
संजय राय शेरपुरिया
तो मानो मेरा सब कुछ खो गया,
जिनके कंधे पर चढ़कर बचपन देखा था,
आज उनका हाथ हमारे कंधे से दूर हो गया”
ग़ाज़ीपुर / दिल्ली 20 मार्च। कोरोना काल में ग़ाज़ीपुर जनपद के लोगों की मदद के लिए देवदूत बनकर आगे आये देश के प्रसिद्ध समाजसेवी और सफल उधोगपति संजय राय ‘शेरपुरिया’ के पिता का निधन हो गया है। देश के प्रसिद्ध एम्स हॉस्पिटल दिल्ली में ईलाज के दौरान संजय राय ‘शेरपुरिया’ के 87 वर्षीय पिता बालेश्वर राय का शुक्रवार 18 मार्च होली के दिन निधन हो गया था। जिसके पश्चात उनके पार्थिव शरीर को पिता व परिवार की इच्छा के अनुसार ग़ाज़ीपुर जनपद के पैतृक शेरपुर गांव में आवास पर शनिवार को ले जाया गया था, जहां पर उनके समस्त परिजनों, शुभचिंतकों व क्षेत्र की जनता दर्शन के बाद सनातनी परंपरा के अनुसार उनके पार्थिव शरीर का पैतृक गांव शेरपुर के गंगा घाट पर दाह संस्कार किया गया। उनका दाह संस्कार बड़े पुत्र व संजय राय ‘शेरपुरिया’ के बड़े भाई त्रिलोकी नाथ राय ने किया। दाह संस्कार के अवसर पर समस्त परिजनों, शुभचिंतकों के साथ बड़ी संख्या में ग्रामवासी और क्षेत्रवासी मौजूद रहे। जहां उन्होंने दो मिनट का मौन रखकर पुण्यात्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
आपको बता दें कि स्वर्गीय बालेश्वर राय प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. देवनारायण राय के सबसे बड़े पुत्र थे, वह अपने पीछे भरा-पूरा साधन संपन्न कामयाब परिवार छोड़कर गये है, उनके 5 पुत्र और 2 पुत्रियां हैं।
संजय राय ‘शेरपुरिया’ अपने पिता की अनमोल यादों को याद करते हुए कहते हैं कि –
“पापा की अर्थी को जब कंधे पर उठाया,
तो मानो मेरा सब कुछ खो गया,
जिनके कंधे पर चढ़कर बचपन देखा था,
आज उनका हाथ हमारे कंधे से दूर हो गया”
संजय राय ‘शेरपुरिया’ कहते हैं
“पिताजी थे जो मेरी गलतियाँ सुधार लिया करते थे,
डांट कर तो कभी प्यार से पुकार लिया करते थे,
अब छोड़ गए साथ हमेशा हमेशा के लिए,
वो मेरी ख़ुशी के लिए न जाने कितने ग़म उधार लिया करते थे”
संजय राय ‘शेरपुरिया’ कहते हैं कि जीवन में पल-पल पर राह दिखाने वाले पिता की भरपाई असंभव है, आज वह जिंदगी में जो कुछ भी हैं वह मातापिता की शिक्षा और आशिर्वाद का ही परिणाम है।