आलेख : बृजेश कुमार- वरिष्ठ पत्रकार
पिछले दिनों यूपी बोर्ड का अंग्रेजी पेपर के आउट होने की खबर नें शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी । सरकार भले ही नकल पर नकेल लगानें का पूरा इंतजाम कर रही है।परन्तु नकल माफिया सक्रीय तो हैं ही ,परन्तु स्थिति तब और भी बिगड़ गयी जब पेपर आउट होने की खबर मीडिया तक पेपर शुरू होने के कई घंटो पहले ही पहुँच गयी।जिससे आलाकमान से लेकर शासन प्रशासन तक हरकत में आ गया। जिसकी वजह से प्रदेश के 24 जिलों के अंग्रेजी के पेपर रद्द करने पड़े।
प्रदेश की सरकार एंव शिक्षा मंत्री प्रदेश की शिक्षा एंव छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित दिखे ,और दोषियों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की बात कही गयी। दोषिंयो पर एनएसए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जिसमें अब तक लगभग 22 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
प्रदेश या देश में पहली बार ऐसा नहीं है जब पेपर आऊट हुआ। लेकिन अभी तक – विशेष बदलाव नहीं आया। देश मे मेडिकल,बैंकिग,एसएससी के पेपर भी कई बार आउट हो चुके है। लेकिन सरकार अब तक ऐसी सख्ती नहीं दिखा पायी जिससे पर्चा लीक होनें पर लगाम लग सके।इसका मुख्य कारण यह है कि देश में शिक्षा व्यवस्था सिर्फ एक व्यापार बन के रह गयी है।परीक्षा शुरू होने के पहले से ही नकल माफिया सक्रीय हो जाते हैं।साथ ही साथ कई संस्थानो की भूमिका भी संदिग्ध होती है।और कई बार तो प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता भी पायी जाती है। ऐसी स्थिति में सुरक्षा के सारे इंतजाम धरे के धरे रह जाते हैं। जब पेपर ही लीक हो जाये। देश में नैतिक मूल्यों में गिरावट महज राजनीति में ही नहीं हुई ,बजाय देश के अन्य मोर्चों पर गिरावट देखने को मिली है।जिसकी वजह से अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है कि कौन व्यक्ति किस प्रकार की सोच रखता है। और आने वाले समय में कहां तक गिर सकता है।
पेपर लीक मामलें में जहां सरकार की किरकिरी हो रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष भी यूपी सरकार पर हमलावर है ।प्रियंका गांधी वाड्रा नें सरकार को पेपर लीक के मामले में जमकर घेरा ।वाड्रा ने कहा की यूपी सरकार पेपर लीक वाली सरकार है। कई पेपर लीक हो चुके है। अपराधी हो या नकल माफिया सबके हौंसले बुलंद हैं।
कहानी यही नही खत्म होती, राजनीति की चकरघिन्नी में देश का युवा पूरी तरह से भटक गया है। एक तरफ पेपर लीक पर लीक ,तो दूसरी तरफ देश के विभिन्न जगहों पर तैयारी करने वाले युवा छात्र भी मारे मारे फिर रहे हैं। पहले सरकार नौकरियां निकालती थी और फिर इसी बहाने साल दो साल चार साल में कोई न कोई छोटी मोटी नौकरी प्राप्त ही कर लेता था । लेकिन आज जब पद ही नही निकल रहे और निकल रहे तो ऊंट के मुँह में जीरा के समान है। और कई बार तो ऐसा ही देखा गया है। प्रतियोगी परिक्षाऔं के भी पेपर आउट हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में छात्रों युवाओं के पास पर्याप्त धैर्य के साथ संसाधन भी उपलब्ध होने चाहिये।
बात सीधी सीधी समझिये जब युवा 10 या 12 वी कक्षा में होता है ,तो उसे सही गलत का ज्ञान नहीं होता ।उनका उद्देश्य होता है कि नंबर ज्यादा आयें सफलता तुरंत मिल जाये।इसकी वजह से कई बार तनाव का शिकार हो जाते हैं।जिसके परिणाम स्वरूप इस तरह के कदम उठा लिये जाते हैं। और इसके लिये पैसे भी आसानी से इंतजाम कर लिये जाते हैं। लेकिन नंबर लाने के दबाब की वजह से गलत कदम उठा लेते हैं और ऐसे गिरोह के संपर्क में आ जाते है जो असंवैधानिक कार्यो में संलिप्त होते है। मामला यहीं नहीं समाप्त होता कई बार तो स्थिति ऐसी बनती है कि जेल तक का सफर तय करना पड़ सकता है।जरूरी है कि हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव पर ध्यान देना चाहिये । जिससे कम नंबर पाने वाले बच्चे हतोत्साहित न हों। परिवार के लोंगो को भी चाहिये कि बच्चो को प्रोत्साहित किया जाय।जिसे बच्चों के बाल मन पर नकारात्मकता घर न करे । साथ ही सरकार को सुरक्षा के विशेष इंतजामात करने चाहिये जिससे पेपर लीक न हो । और अन्य प्रकार के अवैधानिक क्रिया कलापों पर सरकार को कड़ाई से सख्ती बरतनी होगी।बच्चे देश के भविष्य होते हैं। अगर बच्चों पर समय रहते ही ध्यान दिया जाय तो हमारे बच्चे देश को नई दिशा देने में कामयाब होंगें अन्यथा इन्हे खुद ही पूरे जीवन भटकने को मजबूर होना पड़ सकता है। बाद में भटके हुये युवा देश के विकास में भी व्यव्धान पैदा करते हैं।