भारतीय जन महासभा द्वारा प्रकाशित पुस्तक *इनसे हैं हम* का लोकार्पण समारोह कॉटन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच कामरूप शाखा असम के संयुक्त तत्वावधान में गुवाहाटी में संपन्न हुआ ।
इस बारे में जानकारी देते हुए महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने बताया कि 30/04/22 को कॉटन विश्वविद्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल (311) में बहुचर्चित पुस्तक *”इनसे हैं हम”* का लोकार्पण एवं बहुभाषी काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का संयोजन महिला काव्य मंच, असम की राज्यिक महासचिव मालविका रायमेधि दास “मेधा” ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता का कार्यभार मंच की अध्यक्षा बिरजा देवी ने सँभाला।
मुख्य अतिथि कॉटन विश्वविद्यालय के डीन तथा बोड़ो विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. फुकन चंद्र बसुमतारी द्वारा माँ सरस्वती के आगे दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरूआत हुई।
रीतामणि भुयाँ ने अपने सुमधुर कंठ से सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कॉटन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की विभागाध्यक्षा
डॉ. कुसुमकुंज मालाकार जी तथा कॉटन विश्वविद्यालय के टीचर्स एसोसिएशन की उपाध्यक्षा एवं परिसंख्या विभाग की अध्यापिका डॉ रुमा तालुकदार जी सभा में उपस्थित थी।
आमंत्रित अतिथियों, संयोजक एंव अध्यक्षा का स्वागत फुलाम- गामोसा से कामरूप इकाई की उपाध्यक्षा शेवाली भगवती, महासचिव वंदना रायमेधि, वरिष्ट कवयित्री प्रणिता शर्मा एवं डॉ मंजुला हुसैन द्वारा किया गया।
अवनीत कौर “दीपाली”, कुमुद शर्मा “काशवी” एंव कांता अग्रवाल जी द्वारा पर्यावरण संरक्षण के हित को ध्यान में रखते हुए अतिथियों को भेंट स्वरूप पौधे प्रदान किए गए।
इस अवसर पर अपने स्वागत भाषण में मालविका “मेधा” ने कहा कि यह हमारे लिए बड़े गौरव की बात है कि हम आज कॉटन विश्वविद्यालय में बहुचर्चित पुस्तक “इनसे हैं हम” का लोकार्पण कर रहे हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो आज “कॉटन” सोचता है वह कल सम्पूर्ण असम सोचता है, तो यहाँ से इस पुस्तक को असम के जन जन तक पहुँचाने का हमारा प्रण पूरा होगा।
हिंदी विभाग एंव पुस्तकालय में यह पुस्तक प्रदान की गई जिससे यहाँ के विद्यार्थी जरूर लाभांवित होंगे।
आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर राजेन्द्र कुमार अग्रवाल जी की प्रेरणा से, “भारतीय जन महासभा” के अध्यक्ष श्री धर्मचंद्र पोद्दार जी के कुशल नेतृत्व एवं डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ जी द्वारा संपादित पुस्तक “इनसे हैं हम” भारत के उन गौरवशाली महापुरुषों को भावभीनी श्रद्धांजलि हैं जिन्हें या तो इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला या उनके बलिदानों को भुला दिया गया।
“इनसे हैं हम” पुस्तक विस्मृत इतिहास को उजागर कर नवयुग में नवचेतना का प्रयास है जिसमें पूरे भारतवर्ष से सम्मिलित इक्यावन प्रबुद्ध लेखकों द्वारा इक्यावन महापुरुषों के गौरवशाली इतिहास का वर्णन है।
मुख्य अतिथि डॉ फुकन बसुमतरी ने अपने भाषण में स्त्री की मर्यादा का महत्व बताते हुए कहा कि केवल महिलाएँ हर वह काम अकेली ही कर सकती हैं जो एक पुरुष के लिए मुश्किल है, इसका प्रमाण महिला काव्य मंच की यह सभा है।
आज भी कई जगह महिलाओं को द्वितीय स्तर का नागरिक समझा जाता है जो सही नहीं हैं।
डॉ रूमा तालुकदार ने अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि वे गौरवांवित हैं कि उनके हिंदी विभाग एंव कॉटन विश्वविद्यालय को चुना गया इस महान पुस्तक के लोकार्पण हेतु।
कॉटन परिवार की तरफ से उन्होंने अपना आभार प्रकट करते हुए यह आशा प्रकट की कि यह पुस्तक अपनी गरिमा बनाए रखने में सक्षम होगी।
डॉ कुसुमकुंज ने भी हिंदी विभाग की ओर से आभार प्रकट की एवं ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि विद्यार्थियों पर इसका धनात्मक प्रभाव पड़ेगा।
कॉटन के पुस्तकालय में गोलोक रायमेधि स्मृति प्रकाशन की कुल 12 पुस्तकें एवं विरजा जी की स्वरचित किताबें भी भेंट की गईं।
“इनसे हैं हम” पुस्तक पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखते हुए काव्यगोष्ठी का शानदार संचालन अवनीत कौर “दीपाली” ने किया।
सभी ने विभिन्न भाव से भरपूर प्रभावी काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी में प्रणिता शर्मा, हीरामणि तालुकदार, कंचन शर्मा” कौशिका”, कांता अग्रवाल, हेमलता गौलछा, प्रियलता डेका, गीता देवी, सविता जोशी, कुमुद शर्मा “काशवी”, डॉ.मंजुला हुसैन, शेवाली भागवती, मालविका रायमेधि दास “मेधा”,अवनीत कौर “दीपाली”, वंदना रायमेधि, नंदिता डेका एवं दो हिंदी की छात्राओं ने स्वरचित कविता पाठ कर गोष्ठी को सर्वोत्तम सफलता प्रदान की।
कुमुद शर्मा “काशवी” ने “इनसे हैं हम” पुस्तक पर दो शब्द कहते हुए सभी का आभार प्रकट कर धन्यवाद ज्ञापन किया।
अध्यक्षा बिरजा देवी ने सभा समाप्ति की घोषणा की।
यह जानकारी भारतीय जन महासभा के द्वारा जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है ।