गाजीपुर । समाजवादी पार्टी गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही है। गठबंधन में यदि एक सहयोगी को राज्यसभा में भेजा गया है तो सुभासपा को विधान परिषद में भेजना चाहिए था। यह व्यवहारिक और सैधान्तिक दोनों लिहाज से ठीक रहता । पूर्वाचंल में सपा की आन बान शान बचाने में सुभासपा ने जान लड़ा दिया जिसका सिला सपा लगातार वंचित, शोसित की लड़ाई को कमजोर कर रही है। यह बातें पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री व सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरविन्द राजभर टेलीफोन से बात करते हुए भारत प्राइम से कही।
श्री राजभर सपा द्वारा विस में नहीं भेजने को लेकर व्यथित दिखे और सपा को गठबंधन धर्म का पालन करने की नसीहत दे डाली। इन्होंने कहा कि गठबंधन में सभी सहयोगियों को बराबर लेकर चलना चाहिए। गठबंधन में यदि दो पार्टियां है तो सबको बराबर का हक मिलना चाहिए। हमारे मुखिया ओमप्रकाश राजभर हमेशा समझौता वादी रहे जबकि सपा हमेशा सौतेला व्यवहार करती आ रही है। सपा हमारी मेहनत और ताकत दोनों को नजर अंदाज कर रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव को नसीहत देते हुए इन्होंने कहा कि वर्तमान निर्णय से भविष्य में नुकसान न हो जाय।
मालूम हो कि अरविन्द राजभर ओमप्रकाश राजभर के पुत्र हैं और पिछली भाजपा सरकार में जब तक सहयोगी की भूमिका में रहे तब तक लधु उद्योग निगम के अध्यक्ष पद पर रहते हुए राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त किये। ओमप्रकाश द्वारा सरकार से समर्थन लेने के बाद अरविन्द पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। इन्होंने बातचीत में यह भी कहा कि सपा को खुद सोचना चाहिए कि गठबंधन के सभी लोग वंचित, शोसित की लड़ाई लड़ रहे हैं तो एक साथी को लगातार इग्नोर क्यों कर रही है। जबकि सुभासपा पूर्वांचल में सपा के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल रही है। खुद ओमप्रकाश जी अपने लिए नहीं बल्कि समाज हित के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार रहते हैं। ऐसे में सपा कहीं अपने पैर में कुल्हाड़ी तो नहीं मार रही,इस पर जरुर विचार करना चाहिए।