“दीपक हूं मैं “
अग्नि का रूप हूं, सूर्य का प्रतिबिंब हूं मैं।
अमावस्या का चंद्र हूं, अंधकार का काल हूं मैं।
निराशा की आशा हूं, ज्ञान की परिभाषा हूं मैं ।
जंगल में मंगल करूं, कोठरी को प्रकाश से भरो ।
तूफानों से मैं लडू, अंधेरा जीवन का दूर करूं ।
स्वयं प्रज्वलित होकर, राही को राह दिखाता हूं ।
अपने रक्त की अंतिम बूंद तक, कर्तव्य का प्रकाश फैलाता हूं। दीपक हूं मैं स्वयं को भूलकर, समाज का अंधकार मिटाता हूं। कण-कण जलकर भी, तिल भी ना घबराता हूं ।
दीपक हूं मैं स्वयं जलकर भी प्रकाश लुटाता हूं।।
✍️✍️✍️
अर्पित मिश्रा
जिला मीडिया प्रभारी
भारतीय जनता युवा मोर्चा
नोएडा महानगर