नोएडा महानगर से भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा चेन्नई में आयोजित National Youth Parliament में उत्तरप्रदेश के 12 युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया जिसमे नोएडा से अर्पित मिश्रा जिला मीडिया प्रभारी भाजपा युवा मोर्चा नोएडा महानगर ने पश्चिम क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और युवा संसद के प्रथम सत्र प्रश्नोत्तरकाल में विदेश मंत्रालय से जबरदस्त प्रश्न पूंछे, अर्पित मिश्रा ने भारत की अतुलनीय विदेश नीति की सराहना करी।
उन्होंने कहा , ” देश बढ़ चला कर्तव्य पथ पर मां गंगा के आशीर्वाद से,
राम कृष्ण महादेव के आदर्शों पर महा माई के प्रभाव से,
मां जानकी के लाड़ से,मां जीजा बाई की हुंकार से,
हनुमान के निरअहंकारी भाव से, दधीचि के त्याग से,
कामधेनु के वरदान से, सबरी के भाव से,
विदुर के ज्ञान से, गांडीव की टंकार से,
धनवंतरी के आशीर्वाद से, वरुण के प्रताप से,
भारत देश बढ़ चला कर्तव्य पथ पर मोदी के प्रभाव से। “
” जैसा कि हम सब जानते हैं कि विश्व में सर्वाधिक खनिज वाला अफ्रीका महाद्वीप पूंजीवाद और विस्तारवाद के बीच दोराहे पर खड़ा है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत का अफ्रीका में निवेश लगातार बढ़ रहा है और भारत और अफ्रीका के अनेक देश विकास की राह पर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं,कोविड-19 महामारी ने विकास संबंधी इस साझेदारी को और मज़बूती दी, जो कंपाला सिद्धांतों की दिखाई हुई राह पर चल रही है. इन 10 सिद्धांतों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 मे युगांडा की संसद में अपने भाषण में विस्तार से चर्चा की थी। आज अफ्रीका के कुल वैश्विक आयात में भारत के निर्यात की हिस्सेदारी 5.2 फ़ीसद पहुंच चुकी है, जो काफ़ी उल्लेखनीय है. वहीं, अफ्रीकी देशों से दुनिया भर को होने वाले निर्यात में भारत की हिस्सेदारी, वर्ष 2020 में सात प्रतिशत थी. इससे पता चलता है कि भारत, अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है परंतु इस सब के पश्चात भी क्या भारत चीन की “डेट ट्रैप पॉलिसी” और अमेरिका के “पूंजीवाद और निवेश” से अफ्रीका के खनिज संसाधनों पर उत्पन्न “अमेरिका चीन खनिज संघर्ष ” से अफ्रीका के देशों और वहां के नागरिकों के हितों की रक्षा करने में सफल होगा??
क्या विदेश मंत्रालय भारत की पड़ोस प्रथम नीति दार्जिलिंग संधि 1949 की धारा 2 एवम् 6 को पुनः स्थापित करने तथा अन्य पड़ोसी मित्र देशों के साथ भी ऐसी संधि करने की दिशा में कार्यरत है और क्या इसमें रुपए की अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्तर पर बढ़ती हुए स्वीकृति और भारतीय मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बनना सहायक सिद्ध होगा, जिससे दक्षिण एशिया में हथियारों की अनावश्यक खरीद को रोका जा सके और चीन की विस्तारवादी नीति पर भी रोक लग सके तथा सम्पूर्ण क्षेत्र में शांति दीर्घकाल तक स्थापित हो सके?
अर्पित मिश्रा के प्रश्नों की सराहना सदन में उपस्थित सभी युवा प्रतिभागियों ने करी।।