कुंडा-प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा साहब उदय प्रताप सिंह ने दिल्ली में विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक/प्रमुख जितेंद्र सिंह “विसेन” के आवास पर जाकर उनके परिवार से मुलाकात कर ज्ञानवापी प्रकरण पर विस्तृत चर्चा की। यह चर्चा लगभग दो घंटे चली।
राजा साहब ने विसेन परिवार से चर्चा करने के बाद ज्ञानवापी से संबंधित मुकदमों की पैरवी का दायित्व स्वयं उठाने का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय का स्वागत और सम्मान करते हुऐ, विसेन परिवार ने ज्ञानवापी के पैरोकार का दायित्व महाराजा उदय प्रताप सिंह को सौंपने का निर्णय लिया। महाराजा उदय प्रताप सिंह ने विसेन परिवार को आश्वस्त करते हुए, यह आशीर्वाद तथा वचन दिया कि ज्ञानवापी का मुकदमा हिंदुओं के पक्ष में आए इसके लिए हर उचित कदम उठाए जाएंगे। किसी को ज्ञानवापी न तो बेचने दिया जाएगा और न ही सनातनी हिंदुओं की भावना से किसी प्रकार का खिलवाड़ करने दिया जाएगा।
इसी के साथ यह भी निर्णय लिया गया कि, ज्ञानवापी प्रकरण को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए वाराणसी जिला न्यायालय में विसेन परिवार की ओर से लगभग 46 विद्वान अधिवक्ताओं की टीम निश्चित की जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए भी एक बड़ी विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित होगी। ज्ञानवापी प्रकरण को सर्वोच्च न्यायालय में मजबूती से रखने के लिए देश के जाने माने 3 वरिष्ठ अधिवक्ता तथा उनके सहयोगी के रुप में एक बड़ी विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित होगी। कुल मिलाकर लगभग 65 विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित की जा रही है जिसमें कई प्रमुख नाम विद्वान अधिवक्ताओं की सहमति मिलने के बाद उनके नाम सुनिश्चित सुनिश्चित किए जा चुके हैं, तथा अन्य नामों का भी चयन हो रहा है। अधिवक्ताओं के नामों की घोषणा जुलाई में न्यायालय खुलने से पूर्व कर दी जाएगी।
इसी के साथ बड़े राजा साहब श्रीमान उदय प्रताप सिंह जी ने सनातनी हिन्दू समाज को सतर्क और सजग रहने की बात कही।आनेवाले समय में विश्व वैदिक सनातन संघ के द्वारा चल रहे धर्मयुद्ध को और धार देने की आवश्यकता है, जिससे सनातनी समाज में मुखौटे में छुपे गद्दारों पर अंकुश लगाते हुए इस्लामिक कलंको से छुटकारा पाया जा सके।