गोस्वामी तुलसीदास जी की 525वीं जयन्ती और 400वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में सप्ताहव्यापी आयोजनों की शृंखला में ज्योतिर्गंगा न्यास और मदनमोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई।
मुख्य वक्ता अखिल भारतीय सन्त समिति के महामन्त्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती जी ने कहा कि काशी में हनुमान मन्दिरों, अखाड़ों और रामलीलाओं की स्थापना कर तुलसीदास जी ने जनमानस को मुगल शासन के प्रतिरोध में एकजुट किया। काशी का गौरव पुनः लौट रहा है। तुलसीदास का विरोध करने वाले लोग समाज को तोड़ने वाले टूलकिट का हिस्सा हैं जो विदेशी ताक़तों के द्वारा संचालित हैं।
मुख्य अतिथि श्री काशी विद्वत्परिषद् के महामन्त्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि सभी शास्त्रों का सारभूत रामचरितमानस मानव चेतना का समग्र स्वरूप है। मानस के चरित्रों से आमजनों को प्रेरणा और मानवीय जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है।
ज्योतिर्गंगा न्यास के सचिव गोविन्द शर्मा ने विषय प्रस्थापित करते हुए कहा कि इस्लामिक हमलावरों के द्वारा नष्ट काशी को तुलसीदास जी ने नवजीवन दिया। काशी के वर्तमान स्वरूप के लिए योगदान देने वाले हर महापुरुष ने तुलसीदास जी से प्रेरणा ली है।
गंगा महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि काशी में तुलसीदास जी का भव्य स्मारक और संग्रहालय बनना चाहिए ताकि नयी पीढ़ी उनके योगदान से परिचित हो सके।
अध्यक्षता करते हुए मदनमोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो. अनुराग कुमार ने कहा कि काशी के रहस्यों को समझने के लिए प्रति पूरी दुनिया सदैव लालायित रही है। तुलसीदास जी वो कवि हैं जिन्हें दुनिया में सबसे ज़्यादा पढ़ा गया है।
मदनमोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान के प्रो. नागेन्द्र सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
सञ्चालन कार्यक्रम का संयोजन कर रहे रामा दल के अध्यक्ष साहिल सोनकर ने किया।
अतिथियों का स्वागत आनन्द मौर्या, गौरव मालवीय, ऋतिक सोनकर, श्याम बरनवाल, दिव्यांशु सहित राहुल गुप्ता ने किया।
भाजयुमो के अध्यक्ष रजत जायसवाल, वरिष्ठ छात्र नेता शशि राय, विवेक सोनकर, अतुल राय, नीतीश सिंह, आनन्द शर्मा, अभिषेक सिंह, शिवम वर्मा, मनोज कुमार, सोनू वर्मा, की प्रमुख रूप से उपस्थिति रही।