प्रथम किसान पीठाधीश्वर ने उठाया किसान राष्ट्र व किसान बोर्ड की मांग
मोहित त्यागी
स्वतंत्र पत्रकार
अब किसान राष्ट्र व किसान बोर्ड की मांग। हिन्दू राष्ट्र व सनातन बोर्ड के बाद उठीं किसान राष्ट्र व किसान बोर्ड की मांग। जबकि कुम्भ में ही हिन्दू राष्ट्र व सनातन बोर्ड की धार तेज करने की है तैयारी
बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के हिंदू राष्ट्र,देवकी नंदन ठाकुर के सनातन बोर्ड के मांग के बाद अब उठी किसान राष्ट्र व किसान बोर्ड की मांग। विश्व के पहले किसान पीठाधीश्वर किसानाचार्य स्वामी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने मांग किया है। उन्होंने ने कहा कि किसी के लिए किसान कुछ भी हो ।लेकिन हमारे लिए भगवान व देवता से कम नहीं है किसान। आज योगिराज सरकार ने कहा कि भारतवर्ष को किसान राष्ट्र घोषित किया जाए और किसान बोर्ड का गठन किया जाए। जिससे सब का पेट भरने वाले अन्नदाता किसान्न देवता को फसल का उचित दाम मिल सके। जिससे किसान की आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सके। क्योंकि पेपरों व सूचना तंत्र के माध्यम से अक्सर सुनने को मिलता है कि अन्नदाता किसान खेत खलिहान में ठंडी में खेती करते हुए ठंड से ठिठुर कर मर गया। हमारे आपके भरण पोषण के लिए गर्मी में लूं से मर जाता है। बारिश में बिजली गिरने से मर जाता है। खेतों में काम करते हुए सर्पदंश से मर जाता है। लेकिन किसान हिम्मत नहीं हार रहे हैं अभी भी हमारे आपके लिए अन्न फल फूल पैदा कर रहे हैं। लेकिन फिर भी उनकी उपेक्षा हो रही है। जब किसान राष्ट्र घोषित हो जाएगा तो किसानों के लिए प्रोटोकॉल बन जाएगा। तभी जाकर किसान का भला होगा और किसान मजबूत होगा। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान को किसान सबसे प्रिय है।क्योंकि हिन्दू राज्य तो कंश का भी था। रावण का भी था। तब क्या हुआ था कंस और रावण के हिन्दू राज्य में सबको पता है। और भगवान को जन्म लेना पड़ा इन दोनों के अत्याचार और पापाचार को खत्म करने के लिए। हमारा मानना है कि किसान राष्ट्र घोषित कर देने से समाज को एक किया जा सकता है। नहीं तो इस प्रकार से तो इस देश का रहने वाला मुसलमान मुस्लिम राष्ट्र की मांग करने लगेगा। इस देश का ईसाई ईसाई राष्ट्र की मांग करने लगेगा। और अभी बप्फ बोर्ड फिर सनातन बोर्ड फिर क्रिस्चियन बोर्ड। और इसी प्रकार से तो कई बोर्ड की मांग उठने लगेंगी।इस लिए किसान राष्ट्र घोषित कर सभी विवाद पर विराम लगाया जा सकता है और सभी को एक सूत्र में बांधा जा सकता है। सिर्फ किसान ही एक ऐसा है जिसके माध्यम से सब एक हो सकतें हैं। और कोई दूसरा रास्ता नहीं है सभी को एक करने का।क्योंकि देश की 70 फीसदी आबादी गांव में बसती है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। भारत गांव में बसता है। भारत की आत्मा प्राण प्रतिष्ठा यूं कहे तो भारत की जान किसानों में बसती है। देश की आर्थिक समृद्धि और विकास का रास्ता हमारे गांव से होकर गुजरता है। और भी सच कहूं तो बड़े-बड़े ऋषि मुनि मनीषी विद्वान डॉक्टर इंजीनियर जज और आप जैसे बड़े-बड़े पत्रकार भी किसानों के ही वंशज हैं। अन्नदाता किसान्न देवता देश का भाग्य विधाता है। यह अन्नदाता किसान्न देवता जीव जंतु पशु पक्षी पेड़ पौधों मनुष्यों संत महात्माओं आदि का पेट भरता है।इतना ही नहीं बल्कि देवी देवताओं को चढ़ाने वाले प्रसाद भोजन सामग्री पीर पैगंबर गॉड आदि को प्रस्तुत करने वाली सामग्री भी किसान ही पैदा करता है। इसलिए किसान राष्ट्र घोषित होना चाहिए और किसान बोर्ड का गठन होना चाहिए। सोचो अगर किसान न होता तो धरती पर भगवान न होता। शास्त्रों में कहा गया है अन्नम ब्रह्म। अन्न ब्रह्म है। अन्न से रस, रस से रक्त, रक्त से मांस,मांस से मेद,मेद से हड्डी, हड्डी से मज्जा, मज्जा से वीर्य। और फिर मैथुनी प्रक्रिया से अब सृष्टि बढ़ रही है। कहने का मतलब यह है इस अन्न को अन्नदाता किसान पैदा करता है और वह सर्वोपरि है। शास्त्रों में तो यहां तक कहा गया है कि सतयुग में प्राण हड्डियों में रहते थे। त्रेतायुग में प्राण रक्त में रहते थे। द्वापरयुग में प्राण मांस में रहते थे।अब कलयुग में प्राण अन्न में रहते हैं। और अन्न को कौन पैदा करता है अन्नदाता किसान।और अन्न से ही जीवन का अस्तित्व बना रह सकता है। उसके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं है। अतः प्राण शक्ति संपन्न अन्न से ही जीवन का उद्गम और रक्षण होता है। अतः अन्न को ब्रह्म के रूप में कहा गया है। जिस प्रकार से पसवो न गाव:। गाय पशु नहीं है। गाय पशु होते हुए भी पशु नहीं है वह माता है। जिस प्रकार से गुरुर्रब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर गुरुर साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः। जैसे की गुरु मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है। उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है। इसी प्रकार से किसान मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है। वह अन्नदाता है किसान्न देवता है। देश का भाग्य विधाता अन्नदाता है। किसान्न देवता द्वारा उपजाई हुई वस्तु ही सभी देवी देवताओं मसीहा पैगंबर दिगंबर आदि को चढ़ने वाली वस्तु जैसे मंदिर में लड्डू। दरगाह में चादर। चर्च में कैंडल केक आदि चढ़ाई जाती है। वह सब किसान की ही होती है किसान द्वारा ही पैदा की जाती है। हमारी आस्था और श्रद्धा के अनुरूप हमारे द्वारा चढ़ाई गई वस्तु देवी देवता आदि ग्रहण करते हैं।तो वह भी किसान की ही होती हैं। इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि किसान सर्वोपरि है। और इसलिए किसान्न देवता है। सोचो अगर किसान न होता मस्जिद में अल्लाह। चर्च में गाड। गुरुद्वारा में वाहेगुरु। मंदिर में भगवान न होता। कौन पूजता इनको अगर किसान न होता। कैसे चढ़ती इनको पूजन सामग्री अगर किसान न होता। सभी देवी देवताओं महापुरुषों गुरुओं के मंदिर दुनिया में है लेकिन अन्नदाता किसान्न देवता का मंदिर नहीं था। इसी लिए मेरे मन में किसान मंदिर बनाने की इच्छा उत्पन्न हुई।इसीलिए हमने विश्व का पहला किसान्न देवता का मंदिर उत्तर प्रदेश के पट्टी प्रतापगढ़ जिले में बनवाया। मैं चाहता हूं कि किसान्न देवता की गांव-गांव घर-घर पूजा अर्चना इबादत प्रेयर होनी चाहिए किसान की कोई जाति नहीं होती है किसान सभी जाति धर्म का होता है।वह हिंदू मुस्लिम सिख इसाई जैनिस्ट बौधिष्ट आदि सब में होता है। किसान का ही बेटा समस्त धर्म का धर्मगुरु धर्माचार्य राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री नेता अभिनेता खिलाड़ी उद्योगपति पूंजीपति सिंगर डायरेक्टर प्रोड्यूसर वैज्ञानिक प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार बंधु आदि आईएएस पीसीएस डॉक्टर इंजीनियर जज आदि बनता है।हमारा देश ऋषि और कृषि प्रधान देश रहा है। किसानों का एक धर्म गुरु ऋषि योगिराज सरकार पुनः इस देश को कृषि प्रधान बनाते हुए किसान राष्ट्र की मांग कर रहा है। पहले कहा जाता था कि उत्तम खेती मध्यम बान। निकृष्ट चाकरी भीख निदान।किसानी सर्वोपरि है इसलिए इस देश को किसान राष्ट्र घोषित किया जाए और इस देश में किसान बोर्ड का गठन किया जाए। यह विश्व की पहली अन्नदाता पीठ है। किसान्न देवता और किसान देवी की प्रतीक पूजा स्थल मेला ग्राउंड पट्टी जिला प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश में है।किसान राष्ट्र घोषित हो किसान बोर्ड का गठन हो। साहब हम किसान है हम भी हैं सम्मान के हकदार हैं। हमें भी अपनी फसल का उचित मूल्य मिलना चाहिए। जैसे उद्योपतियों को उनकी उत्पादन का मूल्य मिलता है और उद्योगपति स्वयं अपने उत्पाद की कीमत तय करता हैं।
1 उसकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता है 2 ब्रम्ह सत्यं जगत मिथ्या। अर्थात ब्रम्ह ही सत्य है और जगत मित्था। ब्रम्ह सबके अंदर है।3 वह सब में है किसान में भी है आपमें भी है हममें भी है गुरु के अंदर भी है इसलिए तो गुरु को और अपने अपने धर्मों के धर्मगुरु धर्माचार्य को पूजते हैं। वह गाय मे भी है इसीलिए गया को पूजते हैं। वह पीपल में भी है इसीलिए पीपल व नीम की भी पूजा करते हैं। वह अन्न में भी इसीलिए अन्न की पुजा करते हैं। वह पत्थर में भी है इसीलिए पत्थर की भी पूजा करते हैं। वह किसान देवता मे भी है इसीलिए हम किसान देवता की पूजा कर रहे हैं। वह किसान देवी में भी है इसीलिए हम किसान देवी की पूजा कर रहे हैं। इतनी सी बात है। तैंतीस करोड़ देवी-देवता हैं उसी में यह भी है किसी को तैंतीस करोड़ देवी-देवता का नाम नहीं पता है। जितने देवी देवताओं का लोग नाम जानते हों पहचाने हो उसी में आज से इन दो देवी-देवता का नाम जोड़ ले आज से मैं बता दें रहा हूं। यह किसान पहले भी था आज भी है और कल भी रहेगा। हम रहें या न रहे। हां हम किसान भी भजन करते हैं हम किसान भी नमाज पढ़ते हैं हम किसान भी प्रेयर करते हैं इबादत करते हैं। हम किसान भी आपकी सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना प्रार्थना प्रेयर इबादत करते हैं। इतना ही नहीं आपके लिए गर्मी में लूं खा कर ठंड में ठिठुर कर बारिश में भीग कर आपके लिए भोजन की फलहार की भगवान के लिए पूजन सामग्री पैदा करतें हैं। सीमा पर सुरक्षा कर रहे सुरक्षा कर्मियों के लिए खेत में काम करते हैं डाक्टर बैज्ञानिक इंजीनियरिंग पत्रकार वकील आदि के लिए खेतों में काम करते हैं।साहब हम किसान है।हम भी सम्मान के हकदार हैं। हम अन्नदाता है हम भी देश की उन्नति और समृद्धि में सहयोगी है।साहब हम भी सम्मान के हकदार हैं। हम किसान कम पढ़े लिखे जरूर है लेकिन किसानों ने बड़े बड़े संतों महात्माओं को जन्म दिया है। हम कम पढ़े लिखे जरूर है कि लेकिन किसानों ने धर्म गुरु को पैदा किया है। हम किसानों ने देस में बड़ी बड़ी हस्तियां राजनेता पैदा किया। हम सबके पूर्वज किसान थे और है। हा साहब हम किसान है और हम भी सम्मान के हकदार हैं। बस साहब किसान राष्ट्र घोषित कर दो और किसान बोर्ड का गठन कर दो। हमें भी अपनी फसल का उचित मूल्य मिल जाए जैसे सभी बिजनेस मैन व पूंजीपतियों को उनकी उत्पादन की कीमत मिलती है। हा साहब हम किसान है हम सम्मान के हकदार हैं। इस देश में सबका अपना-अपना योगदान है किसी के योगदान को नकारना नहीं जा सकता है। लेकिन अगर देखा जाए तो सबसे ज्यादा योगदान किसान और पत्रकार का है। किसान खेती में जान की बाजी लगाकर काम कर रहा है और पत्रकार जान की बाजी लगाकर खबर कवर कर सासन तक आवाज पहुंचा रहा है।
कहते हैं घूर के भी दिन बदले हैं।अब वह समय आ गया है। अब किसान के भी दिन बदलेंगे। किसान राष्ट्र घोषित होगा।किसान बोर्ड का गठन होगा। और किसान भी अपनी फसल का मूल्य तय करेंगा।मै देवी देवताओं व तीर्थस्थलों व महापुरुषों के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर शक्ति इकठ्ठा कर रहा हूं। किसान राष्ट्र घोषित हो व किसान बोर्ड का गठन हो की मांग करता हूं। किसी के लिए किसान चाहें कुछ भी हो लेकिन हमारे लिए भगवान व देवता से कम नहीं है।