फ़ैक्ट्स और फ़िगर्स को फ़िलहाल रामगढ़ ताल में बहा दें, सोनिया गाँधी बार डांसर थीं या नहीं इसपर बात ही नहीं करनी। मुझे इस सुसंस्कृत समाज के सभ्यतम महानुभावों से यह जानकर अभिभूत होना है कि बार डांसर होना कितना ख़राब होता है?
कौन-सा दर्जा रखते हैं आपलोग बार डांसर के लिये? क्या पैमाना होता है निकृष्टता मापने का जिसमें एक बार डांसर सरीखा कोई और फ़िट नहीं होता।
भारतवर्ष की बहू या बेटी वो बाद में होंगी, पहले एक व्यक्ति हैं, एक स्त्री हैं जिसके जन्मदिन को कलुषित करने का नायाब तरीका आपने ढूंढा और उन्हें बार डांसर की संज्ञा से विभूषित किया।
बार डांसर क्या करती है कि उसे अपमान का पात्र माना जाना चाहिए और अपशब्द बनाकर समाज के माथे पर चस्पा कर दिया जाना चाहिए! अपनी क्षुधा के लिये काम करना कबसे घटिया माना जाने लगा? बार में डांस करना ग़ैर कानूनी तो घोषित नहीं हुआ न! फटी बनियान पहनने वाले ट्रोल्स को छोड़ दें तो भी शहर के रईस लोग भी बार में, पब में ख़ूब डांस करते हैं। यह उनके लिये आनंद का द्योतक होता है। एक ‘बार डांसर’ वही काम पैसे के लिये करती है, कई बार विवश होकर करती है लेकिन इससे आप उसके इस कृत्य को बतौर प्रोफ़ेशन दरकिनार नहीं कर सकते। यह उसकी आजीविका का साधन है।
आप दफ़्तर जाकर एक ही कुर्सी पर एक ही छत के नीचे अपनी कमर तोड़कर अपनी आजीविका का बंदोबस्त करते हैं। जो कुछ नहीं करते वो पिताजी की पूंजी पर बैठकर सोशल मीडिया पर ट्रोल बनकर वक़्त बिताते हैं जिससे फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती। जो इसमें पारंगत हो जाते हैं उन्हें विभिन्न आईटी सेल का कार्यभार सौंपा जाता है। ऐसे ही एक बार डांसर नाचकर, लोगों को लुभाकर अपना पेट भरती है। गले पर छूरी रखकर पैसे नहीं वसूलती, हनीट्रैप में आप जैसे मासूमों को नहीं फँसाती। फिर यह काम ग़लत कैसे हो गया?
एक स्त्री को निकृष्टतम साबित करने के लिये दूसरी स्त्री को संज्ञा व विशेषण बनाने से ज़्यादा घटिया कब सोच सकेंगे आप! ऊब नहीं गये उसी पुराने घिसे-पिटे ढर्रे पर चलते-चलते? क्या फ़ायदा आप जैसे ऊर्जावान होनहारों का जब एक नया इनोवेटिव (अनवेषणात्मक) आइडिया भी न ला पा रहे हों।
कहाँ पढ़ लिया आपने कि सोनिया गाँधी बार डांसर थीं? गूगल के भरोसे उछल रहे हैं, फ़ैक्ट्स चेक करना नहीं सिखाया? एक गिलास कॉम्प्लान पियें, लम्बी साँस लें और जो पढ़ते हैं उसे ऐनेलाइज़ करने की आदत डालें। इस तरह कल गूगल आपको आतंकवादी भी घोषित कर देगा, वहां सब कीवर्ड, डाटाबेस और एसइओ का खेल है। एक बार जो लिख दिया वो दिखेगा, वह सच है या झूठ, आपको पता करना है। गूगल के भरोसे न रहें, गूगल ख़ुद आपके भरोसे है।
अंतिम बात – एक बार डांसर का पूरा सम्मान करते हुए यह बताना चाहूंगी कि सोनिया गाँधी बार डांसर नहीं थीं। उनके परिवार में, उनके नाना अपने दादा का बार चलाते थे। वह बार उनका था, वो वहाँ की डांसर नहीं थीं। भारतवर्ष में भी कई रसूख़दारों के बार्स हैं, इससे वे डांसर नहीं हो जाते।
सोनिया बिल्कुल नहीं चाहती थीं कि राजीव राजनीति में आयें लेकिन संजय के बाद उन्हें आना ही पड़ा। जब इंदिरा गाँधी चुनाव हार गयी थीं और बंगला खाली करना पड़ा उसी दौरान उनके बावर्ची की मृत्यु हो गयी थी। इंदिरा नया बावर्ची रखने में डर रही थीं कि कहीं कोई साज़िशन ग़लत व्यक्ति न भेज दे जो खाने में ज़हर डालकर खिला दे पर समाधान कोई न था। उन दिनों इटली की इस बेटी ने गृहस्थी संभाली। ये घर की बगीया में सब्ज़ियाँ उगातीं, ख़ान मार्केट से ग्रॉसरी लेने जातीं और परिवार के लिये ख़ुद भोजन बनातीं।
इंदिरा के साथ हमेशा मज़बूती से खड़ी रहीं। घर के खाने के मेन्यू से लेकर संसद में कांग्रेस के कैटेलॉग तक इन्होंने सब संभाला है। आपकी संस्कृति की पाठशाला में पढ़े बिना वह सब करती रहीं जो इनके हिस्से आया।
आप इनसे असहमत हो सकते हैं, मतभेद रख सकते हैं लेकिन इनके जन्मदिन को #BarDancerDay घोषित कर आप उनका नहीं, स्वयं का परिचय दे रहे होते हैं।
( रीवा सिंह के एफबी वाल से )