नशे की लत अकेले नहीं लगती, यह एक व्यवस्थित नेटवर्क के जरिए फैलती है। चिट्टा (हेरोइन) जैसी घातक नशीली पदार्थों की बढ़ती लत केवल एक व्यक्ति की समस्या नहीं, बल्कि एक संगठित आपराधिक जाल का परिणाम है। जब तक यह नेटवर्क सक्रिय रहेगा, तब तक नशे की गिरफ्त से निकलना लगभग असंभव बना रहेगा। यदि हमें युवाओं को इस घातक दलदल से बाहर निकालना है, तो सबसे पहले इस नेटवर्क को तोड़ना होगा।
कैसे काम करता है चिट्टा का नेटवर्क?
• नशा तस्करों का एक मजबूत नेटवर्क होता है, जो सोशल मीडिया, मोबाइल एप्स और छिपे हुए संपर्कों के माध्यम से संचालित होता है।
• चिट्टा सप्लायर स्कूल-कॉलेजों, होस्टलों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में नए शिकार की तलाश करते हैं।
• एक बार इस चक्रव्यूह में फंसने के बाद व्यक्ति को इससे बाहर निकलना बेहद कठिन हो जाता है, क्योंकि नशे के साथ ही मानसिक और भावनात्मक निर्भरता भी जुड़ जाती है।
नेटवर्क कैसे टूटेगा?
1. मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी आवश्यक
• हाल ही में, डॉ. ऋतिक शर्मा ने चिट्टा छोड़ने वाले व्यक्तियों को मुफ्त होम्योपैथिक परामर्श और दवा उपलब्ध कराने की घोषणा की। लेकिन इसके लिए सबसे पहली शर्त यही रखी गई कि नशे की गिरफ्त में आए व्यक्ति को मोबाइल और सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर किया जाए।
• जब तक यह डिजिटल संपर्क नहीं टूटेगा, तब तक नशेड़ी के लिए सप्लायर से संपर्क बनाए रखना आसान रहेगा, जिससे उसका इस लत से बाहर निकलना मुश्किल होगा।
2. माता-पिता की सतर्कता और नियंत्रण
• डॉ. ऋतिक शर्मा के अनुसार, नशे का आदी व्यक्ति इमोशनल ब्लैकमेलिंग और झूठ बोलने में अत्यधिक कुशल हो जाता है। वह अपने माता-पिता और परिवार के सदस्यों को भ्रमित कर सकता है, गलत कहानियां गढ़ सकता है और बार-बार अपनी बात बदल सकता है।
• इसलिए, माता-पिता को उसकी कही गई बातों को नजरअंदाज करना होगा और भावनात्मक रूप से मजबूती दिखानी होगी।
• इस स्थिति में सख्ती और अनुशासन के साथ-साथ सही मार्गदर्शन भी आवश्यक है, ताकि व्यक्ति धीरे-धीरे नशे के प्रभाव से बाहर आ सके।
3. गुप्त सप्लाई चेन को खत्म करना अनिवार्य
• नशे का नेटवर्क आपसी संपर्क, पैसों के लेनदेन और डिजिटल माध्यमों के सहारे चलता है।
• प्रशासन को चाहिए कि वह इन नेटवर्क्स को ट्रैक कर उनके सप्लाई चैन को ध्वस्त करे।
• समाज को भी इस दिशा में जागरूक होकर ऐसे संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करनी चाहिए।
4. समाज और प्रशासन की साझी जिम्मेदारी
• यदि हम सच में चिट्टा नेटवर्क को तोड़ना चाहते हैं, तो हर नागरिक को सतर्क रहना होगा।
• स्कूल-कॉलेजों, बाजारों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नशे के सौदागरों की पहचान कर उन्हें समाज से अलग करना होगा।
• स्थानीय स्तर पर नशामुक्ति समितियां बनाई जानी चाहिए, जो संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखकर उचित कदम उठाएं।
जब तक नेटवर्क है, नशा रहेगा!
चिट्टा केवल एक नशा नहीं, बल्कि युवाओं की जिंदगियों को बर्बाद करने वाला सबसे खतरनाक हथियार बन चुका है। इसे रोकने का एकमात्र तरीका है – इसका नेटवर्क तोड़ दो, डिजिटल संपर्क खत्म कर दो, और परिवार एवं समाज को जागरूक कर दो। तभी हम अपने समाज को इस गंभीर संकट से बचा सकते हैं।
“नशे के खिलाफ लड़ाई अकेले की नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी है। जितनी जल्दी इस नेटवर्क को तोड़ेंगे, उतनी ही जल्दी अपने लोगों को बचा पाएंगे।”
डॉ. ऋतिक शर्मा
(होम्योपैथिक विशेषज्ञ एवं राज्य अध्यक्ष, अखिल भारतीय चिकित्सक संघ)