Saturday, April 19, 2025
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दीपोत्सव

दीपोत्सव

किसी जगह पर दीप जले अरु कहीं अँधेरी रातें हों ।
नहीं दिवाली पूर्ण बनेगी, अगर भेद की बातें हों ।।

ऐसे व्यंजन नहीं चाहिए, हक हो जिसमें औरों का ।
ऐसी नीति महानाशक है, नाश करे जो गैरों का ।।

हम तो पंचशील अनुयायी, सबके सुख में जीते हैं ।
अगर प्रेम से मिले जहर भी, हँस करके ही पीेते हैं ।।

चूल्हा जले पड़ोसी के घर, तब हम मोद मनाते हैं ।
श्मशान तक कंधा देकर, अन्तिम साथ निभाते हैं ।।

किन्तु चोट हो स्वाभिमान पर, जिन्दा कभी ना छोड़ेंगे ।
दीप जलाकर किया उजाला, राख बनाकर छोड़ेंगे ।।

दीपोत्सव का मतलब तो यह, सबके घर खुशहाली हो ।
दीन दुखी निर्बल के घर भी, भूख मिटाती थाली हो ।।

प्रथम दीप के प्रथम रश्मि की, कसम सभी जन खायेंगे ।
दीप जलाकर सबके घर में, अपना दीप जलायेंगे ।।

घर घर में जयकारा गूँजे, कण कण में खुशहाली हो ।
सच्चे अर्थों में उस दिन ही, दीपक पर्व दिवाली हो ।।

डॉ अवधेश कुमार अवध
साहित्यकार व अभियंता
संपर्क- 8787573644
awadhesh.gvil@gmail.com

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