गाजियाबाद की जनता को है विकास कार्यों की दरकार, कड़ाके की ठंड में धरने पर बैठे हैं बुजुर्ग नागरिक
दीपक कुमार त्यागी / हस्तक्षेप
वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक
गाजियाबाद ।विभिन्न विकास कार्यों को करवाने की मांग को लेकर के 25 दिसंबर 2023 से वसुंधरा कॉलोनी के अटल चौक पर कड़ाके की ठंड में 70 से 80 वर्ष की आयु के बुजुर्ग धरने पर बैठे हैं सरकार, कृपा करके जल्द ही इनकी जनहित की मांगों को पूरा करो सरकार।
गाज़ियाबाद की पॉश कॉलोनियों में शामिल वसुंधरा, वैशाली और इंद्रापुरम के लोगों की लंबे समय से क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यों को करवाने की मांग लंबित चली आ रही है। जिसके चलते ही अब कड़ाके की ठंड में पूर्व घोषित तय कार्यक्रम के अनुसार 70 से 80 वर्ष की आयु के बुजुर्गो का एक दल धरने पर बैठ गया है। यह धरना जिला मुख्यालय गाजियाबाद से चंद किलोमीटर की दूरी पर वसुंधरा कॉलोनी में निरंतर चल रहा है, अभी तक शासन-प्रशासन के द्वारा इन लोगों की मांगों को मानने के बारे में धरातल पर कोई ठोस पहल नहीं की गयी है। इस धरने में बैठे लोगों की 11 सूत्रीय मांग हैं, जिसमें वसुंधरा के सेक्टर-7 में खेल का मैदान, नोएडा के सेक्टर-62 से रैपिड एक्स तक मेट्रो, वसुंधरा के अटल चौक पर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जी की भव्य प्रतिमा की स्थापना, कॉलोनी में वाहनों की आवाजाही सुचारू बनाने के लिए व्यावसायिक स्थलों के पास वाहन पार्किंग, वैशाली से मोहन नगर तक मेट्रो का विस्तार, क्षेत्र में
आबादी के हिसाब से पार्कों का निर्माण, क्षेत्र में महिलाओं के लिए विद्यालय की स्थापना, वसुंधरा में
अग्निशमन केंद्र की स्थापना, प्रेस क्लब की स्थापना, क्षेत्र में विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण, क्षेत्र में एक आधुनिक सार्वजनिक पुस्तकालय का निर्माण आदि है।
वैसे इन सभी मांगों को देखा जाये तो इन लोगों की कोई भी ऐसी मांग नहीं है जो ग़लत व अव्यवहारिक हो,।वैसे भी यह एक कड़वा सत्य है कि इन्हीं सपनों को दिखाकर के जीडीए व उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद इस क्षेत्र में लोगों को सम्पत्ति बेचने का कार्य किया था। लेकिन आज लगभग तीन दशक के बाद भी इस क्षेत्र के लोगों के यह सपने अधूरे ही हैं। जीडीए व उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद लोगों को उपलब्ध करवाई जाने वाली इन सभी सुविधाओं से अब मूंह मोड़ते नज़र आ रहे हैं। जबकि अगर इस तरह के लोकलुभावन सपने दिखाकर कोई भी निजी बिल्डर सम्पत्ति बेचता और बाद में उन सपनों को धरातल पर साकार नहीं करता तो कानून के अनुसार उसको अब तक जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया जाता, लेकिन भाई यहां तो सरकारी विभागों ने ही कानून को ठेंगा दिखाते हुए आम लोगों को झूठे सपने दिखाकर उन्हें अपनी सम्पत्ति बेचने का कार्य किया है। वहीं रही सही कसर उस वक्त पूरी हो गयी जब उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने वसुंधरा योजना के सेक्टर 7 व 8 का भू उपयोग बदलवाने का कार्य कर दिया, जबकि पिछले तीन दशकों से इन दोनों सेक्टरों में ही जन सुविधाओं को दिखाकर उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद अपनी सम्पत्ति बेचने का कार्य उसके से कर रहा था।
जिसके चलते ही अब लगभग तीन दशकों के लंबे इंतजार के बाद वसुंधरा विकास समिति के नेतृत्व में 70 से 80 वर्ष आयु के बुजुर्ग लोग धरने पर बैठे है। धरने में मुख्य रूप से इन कॉलोनियों में निवास करने वाले लोग भाग ले रहे हैं, इन सभी लोगों ने वर्ष दर वर्ष इन कॉलोनी को बदलते हुए देखा है और सरकारी वादा खिलाफी के चलते मूलभूत सुविधाओं से वंचित होते देखा है। अब इन लोगों का कहना है कि इन कॉलोनियों को बसाते समय जीडीए व उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने आवंटियों से जो वायदा किया था, वह धरातल पर आजतक भी पूरा नहीं किया गया है, जिसके चलते ही बुजुर्गों को कड़ाके की ठंड में सड़क पर बैठकर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
इन कॉलोनियों में जाकर धरातल पर स्थित का हाल देखें तो धरने पर बैठे लोगों की बात में बेहद दम है, कॉलोनियों को विकसित करने वाले जीडीए व उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के वादे झूठे चुनावी जुमले साबित होकर रह गये हैं। जबकि सरकार की झोली को बेहिसाब धन से भरने वाली इन कॉलोनियों में आबादी के अनुपात में मूलभूत सुविधाओं का बहुत ही बड़े पैमाने पर अभाव है। वहीं दूसरी तरफ इन सभी कॉलोनियों में जीडीए व उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के चंद भ्रष्ट कर्मचारियों की कृपा से अवैध रूप से फ्लैटों का मकड़ जाल खड़ा हो गया है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश सरकार को भारी वित्तीय हानि उठानी पड़ रही है। वहीं सुविधाओं के नाम पर इन तीनों कॉलोनियों में कोई ठोस बड़ा कार्य नहीं हुआ है, वर्षों से नोएडा व वैशाली मेट्रो को वसुंधरा से मोहननगर तक लाने का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है, इस क्षेत्र में सरकारी अस्पताल, स्कूल, खेल के छोटे या बड़े मैदान का अभाव है, बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण होने के चलते बिजली, पेयजल व सीवर लाइन की व्यवस्था आये दिन ध्वस्त हो जाती है, आबादी के अनुपात में पार्किंग ना होने से जाम से रोज जूझना रोजाना की दिनचर्या में शामिल हो गया है, इस क्षेत्र में जबरदस्त प्रदूषण से लोगों का जीवन जीना दुश्वार हो गया है। जिसके चलते ही 70 से 80 वर्ष की आयु के बुजुर्ग कड़ाके की ठंड में सड़क पर धरना देने के मजबूर हैं। हालांकि इस क्षेत्र के वासियों को मोदी व योगी सरकार से बेहद आस है कि वह दोनों उनकी जनहित की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके जल्द ही क्षेत्र में जनसंख्या के अनुपात में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाएंगे।