राम जन्मोत्सव का भजन सुनते ही जय श्री राम के नारों से गूंज उठा पंडाल
देवरिया। बैतालपुर क्षेत्र के खिरहां गांव में स्थित श्रीधाम मंदिर परिसर में चल रहे हरिहरात्मक महायज्ञ के अवसर पर मानस मर्मज्ञ प्रेमभूषण जी महराज ने अपने दो दिन की कथा में मानस का तत्वबोध कराने के बाद तीसरे दिवस की कथा में रामजन्मोत्सव की कथा सुनाया।
राम जन्म की कथा सुन भावविभोर श्रोताओं का ने ताली बजाते हुए भए प्रगट कृपाला दीनदायला —– गाते हुए भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया ।
प्रेमभूषण महराज ने रामचरित मानस की चौपाईयों का दृष्टांत देते हुए कहा कि भाव की पूर्णता ही ईश्वर का साक्षात्कार कराती है । हमारा अर्थात् सनातन के सभी ग्रंध बताते हैं। जब भी मनुष्य प्रेम से भजन कीर्तन किया है। उसे परमात्मा का साक्षात्कार हुआ है।
अपने तीसरे दिन की कथा में चारों भाइयों के जन्मोत्सव पर महाराज श्री के भजन को सुन भावविह्वल श्रोताओं के जय श्री राम के नारे से पूरा पंडाल गुंज उठा।
व्यास पीठ का पुजन आरती मुख्य यजमान राहुल मणि त्रिपाठी, चंद्रभाल मणि त्रिपाठी, चंद्रचूड़ मणि त्रिपाठी, सपत्नीक, माता मंजु त्रिपाठी, के साथ जिलाधिकारी देवरिया की माता लक्ष्मी सिंह द्वारा किया गया।
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सप्त ऋषियों के तपश्चर्या से सिंचित हैं सनातन:- प्रेम भूषण
बैतालपुर क्षेत्र के खिरहां गांव में श्रोताओं को राम कथा का रसपान कराते हुए प्रेमभूषण महराज ने कहा कि सनातन धर्म तमाम हमला को सहते हुए पुष्पवित पल्लवित होता है। यह सप्त ऋषियों के तपश्चर्या से सिंचित धर्म हैं। इतिहास साक्षी है। जो इसमें प्रवेश किया यहीं का होकर रह गया।
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श्रीमन नारायण धर्म की रक्षा के लिए लेते है अवतार
बैतालपुर, श्रोताओं को राम कथा का रसपान कराते हुए प्रेमभूषण महराज ने कहा कि
जब जब होहिं धरम की हानि , बाढ़हीं असुर अभिमानी।
तब तब धरी प्रभु विविध शरीरा, हरहीं दयानिधि सज्जन पीरा।। जब जब धरती पर धर्म की हानि होती है। असुरो अधर्मियों का आन्याय बढ़ जाता है। उस समय अलग अलग रूपों में भगवान पृथ्वी पर अवतार लेते हैं।
इस अवसर पर, पुजारी पियूष मिश्र,सिद्धार्थ मणि त्रिपाठी, भरत मणि , सत्यदेव पाण्डेय, कैप्टन सतीश मणि,त्रिपाठी,अनिल मणि, आशीष त्रिपाठी नवजीवन मणि अनिल त्रिपाठी,गुल्लू, सुयश मणि, अनिल मणि, बबूना,पारस यादव, पारस गुप्ता, रंजना त्रिपाठी, अर्चना मिश्र, धीरज उपाध्याय, मदन मोहन उपाध्याय, राजू मणि,संध्या देवी, संजय श्रीवास्तव, रामप्रीत विश्वकर्मा, सुदितय मणि, इंदू विश्वकर्मा, उर्मिला दिवेद्दी आदि उपस्थित रहे।