गोपालदास नीरज की जयंती पर काव्यांजली
बुझी शमां जल सकती है, तूफां से कश्ती भी निकल सकती है- डॉ.सुबाष चंद्रा
चंदौली । जनपद के डीडीयू नगर (मुगलसराय) के अग्रवाल सेवा संस्थान प्रांगण में मंगलवार को देर शाम मुगलसराय रंग महोत्सव का आयोजन किया गया। नीरज निशा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन साहित्यिक संस्था नादान परिंदे के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर सुभाष चंद्र के अध्यक्षता में काशी के प्रख्यात समाजसेवी श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश के स्वागत संरक्षण में कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के संचालन में प्रारंभ हुई।
प्रमुख संयोजन महोत्सव के संस्थापक /महासचिव विजय कुमार गुप्ता ने किया।
स्वर्गीय गोपालदास नीरज जी को समर्पित उनके जयंती पर कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से काव्यांजलि अर्पित किया। कवि सम्मेलन के दौरान
कवि इंद्रजीत निर्भीक ने -बापके आंखों से आंसू बह गया, चल गई इज्जत क्या बाकी रह गया। कवियित्री झरना मुखर्जी ने-टुकड़ों में बिखरना नहीं ,जुड़ना है जिंदगी, पुरुषार्थ से तकदीर बदलना है जिंदगी। कवियित्री भारती साधवानी ने-बालू का घर बना-बनाके देख लिया है। कवि सुख मंगल सिंह मंगल ने-कोयले पर भूल जाइए, हीरे की अंगीठी पर रोटी पकाईए। कवि नवीन कुमार मौर्य फायर बनारसी ने-लेजर कट के बाल कटा के, हम हो गए परेशान। आगे आगे चले मुंगेरी ,पीछे शाहरुख खान।
युवा कवि रोहित पांडेय ने-हर लोग यहां जीने की दुआ करते हैं, मैं तो यहां मरने की दुआ करता हूं। स्वागत संरक्षक श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश ने उपस्थित रचनाकारों को साहित्य के क्षेत्र में गीत ऋषि गोपालदास नीरज जी की स्मृतियों को सदैव जीवंत रखने के लिए अपने कलम का जादू और स्वर बुलंद करते रहने का आह्वान करते हुए अपने कर कमलों द्वारा गीत ऋषि गोपालदास नीरज जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉक्टर सुभाष चंद्र ने कहा कि-बुझी शमां जल सकती है, तूफां से कश्ती निकल सकती है।
स्वागत संबोधन अस्मिता नाट्य संस्थान के अध्यक्ष डॉक्टर राजकुमार गुप्ता, निक्की गुप्ता ने किया। धन्यवाद आभार संस्था के सचिव प्रमोद अग्रहरी ने किया।