चुनौतियों में ही चमकने की चाह
संजय तिवारी
हिंदी एवं संस्कृत का शब्द है संकल्प। इसका उर्दू तर्जुमा है ज़िद। लोक में इसको हठ भी कहा जाता है। हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला, इस कविता को बचपन मे सभी ने पढ़ा होगा। लोक का यह हठ अद्भुत शक्ति का माध्यम है। इस हठ के जरिये जनकल्याण के अनेक ऐसे कार्य हुए हैं जिनको अब इतिहास भी बहुत महत्व देता है। किसी ने इस हठ के बल से पहाड़ काट कर रास्ता बना दिया तो किसी ने कुछ ऐसा रच दिया जो लोक के लिए अद्भुत उपहार बन गया। यह स्वाभाविक है कि जब चुनौतियां सघन होंगी तभी हठ उभरा होगा। आज उत्तर प्रदेश इसी अवस्था मे दिख रहा है। बीमारू राज्य से विकासोन्मुख दिख रहे इस प्रदेश को अगर अत्यंत विकसित और संपन्न बनाने की ज़िद योगी आदित्यनाथ ने कर ली है तो यह भी स्वाभाविक और शुभ है।
योगी आदित्यनाथ की संकल्प शक्ति ही है कि उत्तर प्रदेश को सबसे उपयुक्त और सुविधाजनक निवेश क्षेत्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में कार्य हो रहा है। वैश्विक निवेश के लिए ठाने जा चुके इस यज्ञ में आगंतुकों के लिए सभी तैयारियां हो रहीं। यह वही प्रदेश है जो अभी कुछ वर्ष पूर्व तक माफिया और आपराधिक छवि के लिए बदनाम था। आज यहां विश्व स्तरीय निवेशकों के सम्मेलन की तैयारी चल रही और विश्व भी निगाहें गड़ाए इस आयोजन को देख रहा है। कहने में कोई हर्ज नहीं कि ऐसा साहस कोई जिद्दी, संकल्पी ही कर सकता है।
यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि योगी आदित्यनाथ सच मे हठ योगी हैं। वह इसी पीठ और परंपरा से आते हैं। इस हठयोग के बारे में यहां संक्षेप में जान लेना भी जरूरी है। हठयोग के बारे में लोगों की धारणा है कि हठ शब्द के हठ् और अच् प्रत्यय के साथ ‘प्रचण्डता’ या ‘बल’ अर्थ में प्रयुक्त होता है। हठेन या हठात् क्रिया-विशेषण के रूप में प्रयुक्त करने पर इसका अर्थ बलपूर्वक या प्रचंडता पूर्वक, अचानक या दुराग्रहपूर्वक अर्थ में लिया जाता है। ‘हठ विद्या’ स्त्रीलिंग अर्थ में ‘बलपूर्वक मनन करने’ के विज्ञान के अर्थ में ग्रहण किया जाता है। इस प्रकार सामान्यतः लोग हठयोग को एक ऐसे योग के रूप में जानते हैं जिसमें हठ पूर्वक कुछ शारीरिक एवं मानसिक क्रियाएं की जातीं हैं। इसी कारण सामान्य शरीर शोधन की प्रक्रियाओं से हटकर की जाने वाली शरीर शोधन की षट् क्रियाओं को हठयोग मान लिया जाता है। जबकि ऐसा नहीं है। षटकर्म तो केवल शरीर शोधन के साधन है वास्तव में हठयोग तो शरीर एवं मन के संतुलन द्वारा राजयोग प्राप्त करने का पूर्व सोपान के रूप में विस्तृत योग विज्ञान की चार शाखाओं में से एक शाखा है।
स्वाभाविक है कि योगी आदित्यनाथ ऐसे ही हठयोगी हैं जिन्होंने राजयोग का सोपान साध लिया है और लोक कल्याण की कामना लेकर मानसिक रूप से विश्व परिदृश्य को अंगीकार कर अपने निर्माण की गति में अपना बल झोंक चुके हैं। इसे आप ज़िद कहिए, संकल्प कहिए अथवा हठ, योगी आदित्यनाथ तो इस दिशा में चल चुके हैं। चुनौतियों में चमकने की चाहत लिए योगी की यह यात्रा लोकमंगल के लिए है इसलिए इसकी सफलता में संदेह भी नही।