ट्रेन रोकने के मामले में कोर्ट ने सुनाई तीन माह की सजा
वाराणसी।
बलिया जिले की बेल्थरारोड सीट से पूर्व विधायक गोरख पासवान को 11 साल पुराने एक केस में राहत नहीं मिली है। वाराणसी में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अवनीश गौतम की अदालत ने गोरख पासवान द्वारा अनधिकृत तौर पर ट्रेन रोकने में तीन माह की सजा के खिलाफ दाखिल अपील खारिज कर दी है। अदालत ने एसीजेएम षष्टम के 8 अगस्त 2022 के निर्णय को पुष्ट करते हुए अभियुक्त को संबंधित अदालत ने सात अप्रैल को हाजिर होने का आदेश दिया है। अभियोजन का पक्ष एडीजीसी विनय सिंह ने रखा। अपीलीय अदालत ने कहा कि अभियुक्त ने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया जिसमें कहा गया हो कि उसने जनता को नहीं भड़काया।अभियुक्त घटनास्थल पर मौजूद था और नेतृत्व कर रहा था। ऐसे में स्वीकृत तथ्य को साबित करना जरूरी नहीं है। अवर न्यायालय के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। एसीजेएम/एमपी एमएलए कोर्ट ने बीते साल अगस्त माह में पूर्व विधायक गोरख पासवान को इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन रोकने के मामले में दोषी पाया था। तीन महीने की सजा के साथ ही साढ़े चार हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। आरपीएफ मऊ के एसआई डीके शर्मा ने चार अप्रैल 2012 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि सपा विधायक गोरख पासवान के नेतृत्व में ग्रामीणों ने वाराणसी-गोरखपुर रेल प्रखंड पर बनकरा गांव के पास रेल फाटक बनाने की मांग को लेकर इंटरसिटी एक्सप्रेस को 18 मिनट तक रोक कर रखा था। इस मामले में अवर न्यायालय ने रेलवे अधिनियम की कई धाराओं में दोषी गोरख पासवान को तीन माह की अधिकतम सजा और साढ़े चार हजार का जुर्माना 8 अगस्त 2022 को लगाया था। अभियुक्त ने इसी के खिलाफ दाखिल अपील में कहा था कि साक्ष्य पर आधारित सजा नहीं सुनाई गई बल्कि भावनात्मक आधार पर सजा सुनाई गई । घटनास्थल पर पहले से भीड़ थी।इसकी जानकारी होने पर डर्मापुर फेफना निवासी तत्कालीन विधायक अभियुक्त मौके पर पहुंचा। भीड़ को समझा-बुझाकर हटाने का प्रयास भी किया। अपीलीय अदालत ने कहा कि आरोप के विरुद्ध कथित भूमिका को साबित करने का भार अभियुक्त पर था जिसे वह साबित नहीं कर सका। ऐसे में अवर न्यायालय की सजा की पुष्टि की जाती है।