१- प्रत्युथान :—
-किसी के स्वागत में उठ कर खड़े होना ।
२- नमस्कार :—
-हाथ जोड़ कर सत्कार करना ।
३-उपसंग्रहण : —-
आयु वृद्ध, ज्ञानवृद्ध, शिक्षकआचार्य,गुरुजन कुल परिवार एवं सम्बन्धी वर्ग का यथोचित अभिवादन करना यही हमारा शिष्टाचार है ।
४-साष्टांग :- -पाँव, घुटने, पेट, सर और हाथ के बल जमीन पर पूरे लेट कर सम्मान करना ।
५- प्रत्याभिवादन : – -अभिनन्दन का अभिनन्दन से उत्तर देना । यथोचित श्रेष्ठ जन को नित्य अभिवादन करने से आयु _ विद्यायशऔर बल इनके आशीष वचनों से स्वत:प्राप्त होते है।
शीलस्य ,नित्य वृद्धोपसेविन:!
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आर्युविद्या यशो बलम् !!
अच्छे भाव से किया हुआ सम्मान के बदले बड़े लोग आशीर्वाद देते है जो एक सकारात्मक ऊर्जा होती है l
( संकलन: पं० भानू प्रताप चतुर्वेदी)