इस कथा में बहुत कुछ इतना ख़तरनाक है कि उसे छुपाना मेरी मजबूरी है।सब कुछ लिख दुं तो यूपी की सियासत में भूचाल आ जायेगा।बहुत कुछ छुपाने के लिए अपने चाहने वाले पाठकों से माफ़ी चाहता हूं 🙏
मैंने बसपा के टिकट में फेर बदल होने की संभावना के साथ ही यह भी कहा था कि नया प्रत्याशी एक मुस्लिम होगा।श्याम सिंह यादव का टिकट होने के बाद कुछ लोगों को लग रहा होगा कि मेरी यह सूचना गलत थी।पोस्ट के साथ लगी तसवीरें नामंकन के उन कागज़ात की हैं जो अर्फ़ी उर्फ़ कामरान के लिए कल रात 11 बजे तैयार करवाये गए थे।बसपा का टिकट बदले जाने , अर्फ़ी उर्फ कामरान का नामांकन पत्र तैयार करवाने के बाद अचानक श्याम सिंह यादव का टिकट होने की कथा विस्तार से पढ़िए ………
दरअसल जौनपुए की सियासी जंग किसी कीमत पर जीतने को आमादा एक सियासी दल मार्च से ही किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में था जिसे बसपा का टिकट दिलाया जाए और वह सपा के मूल मतों में सेंध लगा सके। 18 मार्च को जौनपुर के सबसे क़द्दावर मुस्लिम नेता को ऑफर आया कि आप बसपा से चुनाव लड़ जाओ आपका टिकट , चुनाव का खर्च सब मैनेज कर दिया जाएगा।इसके अतिरिक्त एक बहुत बड़ी रकम भी उस नेता को ऑफर हुई।उस बड़े नेता ने दो टूक जवाब दिया कि मुझे 100 करोड़ भी दोगे तब भी मैँ अपनी पार्टी से गद्दारी नहीं करूंगा।यह उस वक़्त की बात है जब यह चर्चा ज़ोरों पर थी कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सपा से टिकट मिल सकता है।
इस बीच ज़िले की सियासत में एक मोड़ आया , धनंजय सिंह जेल चले गए।बदलते घटनाक्रम में सपा का टिकट बाबू सिंह कुशवाहा को मिल गया और पूर्व सांसद की पत्नी श्रीमती श्रीकला सिंह बसपा की प्रत्याशी घोषित हो गयीं।दोनों ही उम्मीदवार तीसरी पार्टी के बड़े वोट बैंक में बड़ी सेंध लगा रहे थे।धनंजय सिंह के जेल से बाहर होते ही तीसरे दल की धड़कने बढ़ गयीं।अब यहां से शुरू होता है एक नया खेल।
तीन दिन पूर्व शनिवार को शाहगंज क्षेत्र के एक सपा मुस्लिम नेता को बसपा के एक बहुत ही बड़े नेता का फोन आता है कि आप बसपा से चुनाव लड़ जाओ टिकट मुफ्त में मिलेगा साथ ही एक बड़ी रकम भी दी जाएगी।उस युवा सपा नेता ने इस ऑफर को यह कह जर ठुकरा दिया कि मैँ सपा का सिपाही हुँ।इसी बात चीत में सबरहद गांव निवासी अर्फ़ी उर्फ कामरान का नाम आया।कामरान का फैमली बैकग्राउंड देखते हुए उन्हें तत्काल लखनऊ बुला लिया गया और उन्हें हरी झंडी दिखाते हुए नामांकन की तैयारी के लिए जौनपुर भेज दिया गया।
सन्डे को आधी रात तक कामरान के नामांकन पेपर तैयार हुए।सोमवार की सुबह कामरान बेहद खामोशी से नामांकन के लिए गांव से जौनपुर शहर आ गए।इस बीच यह कहानी एक और टर्न लेती है।सांसद श्याम सिंह यादव को जैसे ही पता चला कि बसपा के टिकट में फेरबदल हो रहा है उन्होंने भी घोड़े खोल दिये।अब बसपा और हाथी की खाल ओढ़े एक दूसरे दल के रणनीतिकारों के पास दो विकल्प थे।दोनों ही सपा के मूल मतों में सेंध लगा सकते थे।एक मुसलमान जो गुमनाम था दूसरा यादव जो फिलवक्त सांसद है।यादव का पलड़ा भारी पड़ा।
सुबह 8 बजे अचानक से श्याम सिंह यादव का नाम चर्चा में आया लेकिन बड़े खिलाड़ियों ने अर्फ़ी उर्फ कामरान को 11 बजे तक रोके रखा।धूप बढ़ती गयी पारा चढ़ता गया और दोपहर 12 बजे अर्फ़ी को सॉरी बोल कर खरवार की अटैची में घूम रहा दूसरा सिंबल श्याम सिंह यादव के घर भेज दिया गया।
साभार : पत्रकार खुर्शीद अनवर खान की कलम से