विश्वभर में ज्ञान का प्रकाश फैलाने का उपक्रम
रामनवमी के दिन हर की पैड़ी के सामने संन्यास दीक्षा महोत्सव-2023 का समापन
युवा संन्यासियों का देश सेवा में समर्पित होना
नव संन्यासियों की नारायणी सेना पूरे विश्व में संन्यास धर्म, सनातन धर्म व युगधर्म की ध्वजवाहक होगी – रामदेव
सभी अविवेकपूर्ण कामनाओं, विषय वासनाओं व भोगों से मुक्त रहकर संन्यासी होना
सबसे बड़ा उत्तरदायित्व व गौरव: आचार्य बालकृष्ण
योगऋषि स्वामी रामदेव ने अपने 29वें संन्यास दिवस पर एक नया इतिहास रचते हुए अष्टाध्यायी, महाभाष्य व्याकरण, वेद, वेदांग, उपनिषद में दीक्षित शताधिक विद्वान् एवं विदुषी संन्यासियों को राष्ट्र को समर्पित किया। इनमें 60 विद्वान् ब्रह्मचारी भाई तथा 40 विदुषी बहनें शामिल हैं। साथ ही पूज्य आचार्य जी ने लगभग 500 नैष्टिक ब्रह्मचारियों को दीक्षा दी। इस अवसर पर सर संघ चालक पूज्य मोहन भागवत ने कहा कि सबसे बड़ा त्याग नवसंयासियों के माता-पिता का है जिन्होंने अपने बच्चे को पाल-पोसकर देश, धर्म, संस्कृति और मानवता के लिए समर्पित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि आज से लगभग 10 वर्ष पहले का वातावरण ऐसा नहीं था, मन में चिंता होती थी किन्तु अब हालत बदल गए हैं ।
स्वामी रामदेव ने कहा कि संन्यास मर्यादा, वेद, गुरु व शास्त्र की मर्यादा में रहते हुए नव संन्यासी एक बहुत बड़े संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हो रहे हैं। ब्रह्मचर्य से सीधे संन्यास में प्रवेश करना सबसे बड़ा वीरता का कार्य है। इन संन्यासियों के रूप में हम अपने ऋषियों के उत्तराधिकारियों को भारतीय संस्कृति तथा परम्परा के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित कर रहे हैं। स्वामी रामदेव ने कहा कि संन्यासी होना जीवन का सबसे बड़ा गौरव है। अब से सभी 100 संन्यासी ऋषि परम्परा का निर्वहन करते हुए मातृभूमि, ईश्वरीय सत्ता, ऋषिसत्ता तथा अध्यात्मसत्ता में जीवन व्यतीत करेंगे।
इससे पहले वेदमंत्रें के बीच देवताओं, ऋषिगणों, सूर्य, अग्नि आदि को साक्षी मानकर सभी संन्यास दीक्षुओं का मुख्य विरजा होम तथा मुण्डन संस्कार किया गया।