मुगलों के आक्रमण से राजपूती तलवारें धधक उठीं ,
रण में बैरी रक्त से प्यास बुझाने उमड़ पड़ीं ,
मुट्ठी भर मेवाड़ी से मुगल सेना थी घबराई ,
मेवाड़ी सेना ने मुगलों के बीच मचाई भीषण तबाही ,
महाराणा के शेर समर में लेते ज्यों अंगड़ाई थे ,
त्यों मलेच्छाें के शीश धरा पर होते रहते धरासायी थे ,
चेतक पर बैठे महाराणा इंद्र समान गरजते थे ,
खड़क से अपनी रिपु सेना पर वज्र से तीव्र प्रहार जो करते थे ,
परम प्रतापी महाराणा महाकाल से लगते थे ,
अश्व सहित उसके रोही को चीर चीर के धरते थे ,
महाराणा के रण कौशल से मुगल सेना घबरा गई ,
सूर्यास्त से पूर्व ही युद्ध विराम लगा गई ,
राजपूतों ने रक्त के कण कण से घाटी को सींचा था ,
स्वतंत्रता का वह समर अनोखा और अनूठा था ।।
लेखक
अर्पित मिश्रा
जिला मीडिया प्रभारी
भारतीय जनता युवा मोर्चा
नोएडा महानगर