विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर गाजीपुर जिले के रेवतीपुर गांव के साहित्यकार आचार्य परमानंद शर्मा जी की पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती और आचार्य परमानंद शर्मा जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मनोज मिश्र ने महाप्राण निराला रचित मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत किया। वक्ता अवध बिहारी राय ने आचार्य परमानंद का संछिप्त जीवन परिचय देते हुए बताया कि महाप्राण निराला से आचार्य की घनिष्ठ मित्रता थी।
निराला जी ने कलकत्ता प्रवास के दौरान प्रसिद्ध सरस्वती वंदना ‘ वर दे वीणा वादिनी ‘ की रचना उन्ही के मकान पर की थी। दिनकर और नागार्जुन जैसे साहित्यकार अपनी पांडुलिपियां इनसे स्वीकृत करा कर छपने को देते थे। आचार्य परमानंद के पौत्र मनोज राय ने बताया कि आजीवन हिंदी की सेवा करने वाले साहित्यकार कुबेर नाथ राय और विष्णु कांत शास्त्री जैसे लोग उन्हें अपना गुरु मानते थे। कार्यक्रम में आचार्य की पुत्रियां भी उपस्थित रहीं उन्होंने बताया कि उन्होंने साधना और सिद्धांजना नाम की दो पत्रिकाएं भी निकाली जो अर्थाभाव की वजह से बंद हो गईं। शिव विवाह कविता निराला ने साधना पत्रिका के लिए ही लिखी थीं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सच्चिदानंद राय ने उनके अंतिम समय के संस्मरण साझा करते हुए कहा कि 1978 में गांव पर ही पक्षाघात से पीड़ित होने और भीषण बाढ़ की स्थिति में उचित इलाज न मिल पाने के कारण 11 सितंबर को आचार्य का देहावसान हो गया। कवि अनंत देव पांडेय अनंत और विनय राय बबुरंग को आचार्य परमानंद शर्मा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन अरुण राय ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि अनंत देव पांडेय अनंत ने किया। कार्यक्रम में डा ऋचा राय, कवि कामेश्वर द्विवेदी, आदि साहित्यकार मौजूद रहे। कार्यक्रम का आयोजन रणधीर यादव, प्रवीण राय, अवध बिहारी राय, मृत्युंजय राय अमर आदि गांव के साहित्यप्रेमीयों
ने किया।