आजकल एम्स को लेकर देश में कुछ लोग भ्रांतिया फैला रहे है की एम्स नेहरू ने नहीं अपितु राजकुमारी अमृत कौर ने बनवाया जिनका नेहरू जी ने विरोध किया। सत्य है कि राजकुमारी अमृता कौर इस अस्पताल को बनाने में अपनी पुरी ताकत लगा दीं लेकिन नेहरू जी ने इसका विरोध किया हो यह सरासर झूठ है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान (राष्ट्रिय चिकित्सा केंद्र) का देश की रियासतों,रजवाड़ो के सहयोग से बना है जिसमें राजकुमारी का स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर उल्लेखनीय योगदान को नकारा नहीं जा सकता। हालांकि नेहरू के विरोधी अपने तर्क के पीछे तथ्य मांगने पर बंगले झांकने लगते हैं।
इस तथ्य की छानबीन के लिए ाईम्स की वेबसाइट https://www.aiims.edu/hi/component/content/article.html?id=91 पर जाकर खोज करने पर निम्न सूचना प्राप्त हुई।
”जवाहर लाल नेहरू जी ने देश को वैज्ञानिक संस्कृति से ओत प्रोत करने का सपना देखा था और स्वतंत्रता के तुरंत बाद उन्होंने इसे प्राप्त करने के लिए एक विशाल डिजाइन तैयार की। आधुनिक भारत के मंदिरों में से एक, जिन्हें उनकी कंल्पना से बनाया गया, चिकित्सा विज्ञान का एक उत्कृष्टता केन्द्र था। नेहरु जी का सपना यह था कि दक्षिण पूर्वी एशिया में चिकित्सा चिकित्सा और अनुसंधान की गति बनाए रखने के लिए एक केन्द्र होना चाहिए और इसमें उन्होंने अपनी तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर का पूरा सहयोग पाया।
एक भारतीय लोक सेवक, सर जोसेफ भोर, की अध्यक्षता में 1946 के दौरान स्वास्थ्य सर्वेक्षण और विकास समिति द्वारा एक राष्ट्रीय चिकित्सा केन्द्र की स्थापना की पहले ही सिफारिश की गई थी, जो राष्ट्र की बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल गतिविधियों को संभालने के लिए उच्च योग्यता प्राप्त जनशक्ति की जरूरत पूरी कर सकें। पंडित नेहरु और अमृत कौर के सपने तथा भोर समिति की सिफारिशों को मिलाकर एक प्रस्ताव बनाया गया जिसे न्यूज़ीलैंड की सरकार का समर्थन मिला। न्यूज़ीलैंड का उदारतापूर्वक दिया गया दान कोलोम्बो योजना के तहत आया जिससे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की आधारशिला 1952 में रखी गई। अंत में एम्स का सृजन 1956 में संसद के एक अधिनियम के माध्यम से एक स्वायत्त संस्थान के रूप में स्वास्थ्य देखभाल के सभी पक्षों में उत्कृष्टता को पोषण देने के केन्द्र के रूप में कार्य करने हेतु किया गया था।”
इस उपरोक्त कथन से ज्ञात होता है की तुच्छ प्रवृति के लोग अपनी महिमा मंडन के लिए किस प्रकार के षडयंत्र किये जा रहे है व सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़ फैलाकर आने वाली पीढ़ियों में वैचारिक मतभेद बढ़ाया जा रहा है।
त्रयम्बक उपाध्याय
( यह लेखक के निजी विचार हैं।)
(तस्वीर गुगल से साभार )