दिल्ली। भारत इस वक्त ग्लोबल वार्मिंग की जबर्दस्त मार सहने को मजबूर है। भीषण गर्मी के कारण तापमान बढ़ने से बिजली की खपत में वृद्धि के फलस्वरूप देश के विभिन्न राज्यों में बिजली संकट भी उत्पन्न हो गया है। इसे कोयले की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बिजली का संकट कोयले की कमी से नहीं बल्कि खराब प्रबधंन के कारण उत्पन्न हुआ है।
बढ़ते जलवायु प्रेरित जोखिमों के बीच कोयले की पहेली को समझने के लिये मंगलवार को एक वेबिनार का आयोजन किया। इसमें विशेषज्ञों ने कोरोना महामारी के झटके के बाद भीषण गर्मी में उत्पन्न बिजली संकट के लिये पर्याप्त योजना की कमी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि ऐसे में अक्षय ऊर्जा को अंतिम और वास्तविक समाधान मानकर उसमें और ज्यादा निवेश करने का इससे बेहतर वक्त और कोई नहीं हो सकता। भारत के ऊर्जा मिश्रण को अत्यधिक विविधतापूर्ण बनाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में इस वक्त पर्याप्त ऊर्जा उत्पादन क्षमता मौजूद है और अब किसी नए कोयला बिजली घर की कोई जरूरत नहीं है।
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) में विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा, “मौजूदा बिजली संकट से निपटने में अभी कुछ समय लगेगा। भारत में यह कोई नई स्थिति नहीं है। पिछले पांच वर्षों के दौरान ऐसे हालात बार-बार पैदा होते रहे हैं। पानी की कमी बिजली के संकट का एक बहुत प्रमुख कारण है। इस वक्त हम यह भी देख रहे हैं कि कोयले को बिजलीघरों तक पहुंचाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से भी बिजली संकट बहुत बढ़ गया है। जब तक हम इसे सुव्यवस्थित तरीके से एड्रेस नहीं करेंगे तब तक हालात नहीं बदलेंगे।’’
उन्होंने कहा ‘‘भारत में कोयले का वर्तमान संकट योजना, स्टॉक प्रबंधन और अन्य पक्षों की सम्बन्धित नाकामी का नतीजा है। हो सकता है कि बिजली संकट को कोयला क्षेत्र में और अधिक निवेश के तर्क के तौर पर इस्तेमाल किया जाए। मगर इससे आगे चलकर हालात और भी खराब हो जाएंगे।
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवॉयरमेंट एण्ड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) में फेलो वैभव चतुर्वेदी ने देश में कोयले से सम्बन्धित संकट के पूर्वानुमान की कोई सटीक व्यवस्था नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा ‘‘सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस नई तरह की अनिश्चितताओं के लिए हमारी योजना की प्रक्रिया क्या है। फिलहाल मैं देश में ऐसा कोई मॉडल नहीं देख पा रहा हूं। सरकार ऐसी कोई विश्लेषणात्मक इकाई तैयार करेगी, इसकी उम्मीद नहीं की जानी चाहिये। हम ऊर्जा रूपांतरण को किस तरह से करेंगे, इसके लिए कोई ठोस अनुमान या योजना का अभाव नजर आता है। हमारे पास कोई संचालनात्मक योजना नहीं है।
स्रोत: climatekahani@gmail.com