भारत का एक ऐसा गांव जहां लखपति तो हर घर में मिल जाएंगे और करोड़ों की कोई कमी नहीं है। गांव में तो चलिए जानते हैं । भारत के ऐसे गांव के बारे में जितने लघु उद्योग यानी कि छोटे व्यवसाय के बल पर ना सिर्फ गरीबी दूर की कि आज वह हर घर में कम से कम एक सदस्य एन आर आई है।
सुना होगा कि लोगों के माध्यम से गांव वाले आत्मनिर्भर होने जा रहे हैं लेकिन क्या कभी ऐसा सुना है कि भारत में एक ऐसा गांव भी है जो इन्हीं लोगों लोगों की मदद से करोड़पति का गांव कहलाता है सुनकर थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन यह बात बिल्कुल सच है गुजरात के खेड़ा जिले का एक गांव उत्तर साडा में 1986 में पापड़ बनाने की शुरुआत हुई थी तथा के पड़ोसी गांव के निवासी दीपक पटेल ने उत्तम बाबर ब्रांड के तहत पापड़ बनाने का पहला कारखाना खोला अब वहां पर पापड़ बनाने की ऑटोमैटिक मशीन आ गई है।
उत्तर साडा में पापड़ बनाने की ऑटोमैटिक मशीन आ गई है । आटा गूंदने, पापड़ बेलने और सुखाने का काम मशीनों से ही होता है । उत्तर साडा के पापड़ उत्पादों का कहना है कि इस गांव की जलवायु पापड़ बनाने की अनुकूल है। जो पापड़ को सफेद, कोमल, पतला और स्वादिष्ट बनाती है। उत्तर साडा में रोजाना 4000 किलो से ज्यादा पापड़ बनाया और बेचा जाता है 20000 की बस्ती वाले को उत्तरसंडा के गांव में दिवाली के समय अलग ही माहौल होता है बताया जाता है कि छोटे से गांव उत्तर सांडा में एग्री उद्योग करने वाले 35 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं जो दिवाली के समय 70 करोड से भी ज्यादा का व्यवसाय करती है । यहां ऐसी बहुत सी फैक्ट्रियां हैं जो दिवाली के समय 3 से लेकर 6 टन के मट्ठीओं का उत्पादन करती है इन सब के लिए ऑर्डर 2 महीने पहले से ही महिलाओं को मिल जाता है जबकि 15% उत्पादक गुजरात के बाहर दूसरे राज्यों में बिकने के लिए जाता है। इन मट्ठीओं की खास बात यह है यह तीन महीनों तक ताजा रहती है और इसी लघु उद्योगों की मदद से उत्तर सांडा का व्यवसाय आज विभिन्न राज्यों के साथ जुड़ा हुआ है और उत्तर सांडा एक जाना माना अमीर गांव के रूप में गिना जाता है।