शहीद मदन लाल धींगरा
आज 18 सितम्बर जन्मदिन है ..भारत मां के लाडले सपूत का ..जिसने सिखाया ..करियर से भी बहुत बड़ा ..अपना देश है …’ मदन लाल धींगरा का ‘ 11 अगस्त 1908 को खुदीराम की शहादत के ठीक एक वर्ष और पांच दिन बाद एक और देश भक्त हिन्दुस्तानी ” मदन लाल धींगरा ” भी 17 अगस्त 1909 में को ब्रितानी हुकूमत को चुनौती देता हुवा ..उपरोक्त पंक्तियों की गूंज-अनुगूंज को भारत व्यापी बना रहा था ..आगामी 17 अगस्त ” मदन लाल धींगरा का शहादत दिवस है ..18 सितम्बर 1883 में जन्मे मदन लाल धींगरा ब्रिटेन में मेकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षात्र थे ..कर्जन वायली भारत सचिव का विशेष सलाहकार था …और अपने भारत विरोधी रवैये के लिए कुख्यात था ..उसे सबक सिखाने की जिम्मेदारी ‘ मदन लाल धींगरा ‘ ने अपने ऊपर ली ..1 जुलाई को जहाँगीर हाल में ‘ इंस्टीट्युट आफ इम्पीरियल स्टडीज ‘ द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करने ‘ वायली ‘ आने वाला था …धींगरा भी सही समय पर पहुँच गए ..कार्यक्रम समाप्ति की ओर था ..सफ्फुदीन किचलू ( कालांतर जलियांवाला बाग़ के सुप्रसिद्ध नेता ) मंच पर ” सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा गा ही रहे थे की गोलियों की तत्ता तट-तटाहट से हाल गूंज उठा ..वायली के चेहरे के की धज्जियां उड़ गईं थी ..एक अंग्रेजभक्त भारतीय भी वायली को बचने की कोशिश में पड़ा तड़फ रहा था ..कार्य पूरा हो चूका था ..पुलिस ..डाक्टर की औपचारिक कार्यवाही चल रही थी ..डाक्टर ने धींगरा की नब्ज देखी .’ नब्ज सामान्य थी किन्तु डाक्टर काँप रहा था … मुक़दमे की सुनवाई के दौरान धींगरा ने ब्रिटिस जज को धन्यवाद दिया की ” मै आपके प्रति आभार प्रगट करता हूँ और चाहता हूँ की आप मुझे सजाए-मौत दें ..मै अपने देशवासियों के बेहतर कल के लिए मरना चाहता हूं..ये मेरे लिए गौरव की बात होगी “…पेंटोंविले जेल में इस महान देशभक्त ने फांसी का फंदा चूमा ..’ देशवासियों के बेहतर कल के लिए ‘..आज आजादी के सातवें दशक के अंत में …यही सवाल शहीद देशभक्तों के मन में कोलाहल कर रहा होगा की ..क्या यही है देशवासियों का बेहतर कल ??…आज की पोस्ट नाउम्मीद वालों के लिए …. जो बिना थके हार मान लेते हैं ….दुखद ..फिर भी बेहतर ” कल ” के लिए
……आमीन .??? …………जयहिंद .!!!
( राजू जयहिन्द )