लखनऊ।उत्तर प्रदेश के विधानसभा परिषद के चुनाव में समाजवादी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के खास लोगों की एमएलसी चुनाव में करारी हार हुई है. अखिलेश के करीबी संतोष यादव को जहां बीजेपी के सुभाष यदुवंश ने हराया, वहीं बाराबंकी से राजेश यादव और लखनऊ-उन्नाव सीट से सुनील यादव भी चुनाव हार गए. इसके अलावा अखिलेश के करीबी रहे आनंद भदौरिया एमएलसी चुनाव लड़े ही नहीं, जबकि उदयवीर नामांकन ही नही कर पाए. एमएलसी चुनावों में 20 सीटें ऐसी रहीं, जहां सपा ने महज 30 प्रतिशत से कम वोट प्राप्त किए, यानी कि बीस से ज्यादा सीटों पर समाजवादी पार्टी लड़ाई से ही बाहर रही.
एलएलसी चुनाव की 36 सीटों में सबसे रोचक चुनाव बस्ती-संत कबीर नगर-सिद्धार्थ नगर सीट का रहा. एक तरफ इस सीट से निवर्तमान विधान परिषद सदस्य संतोष यादव उर्फ सनी यादव सपा की तरफ से चुनाव लड़ रहे थे तो दूसरी तरफ भाजपा ने अपने प्रदेश मंत्री सुभाष यदुवंश को मैदान में उतारा। अखिलेश यादव के किचन कैबिनेट के सदस्य सनी यादव के खिलाफ बीजेपी संगठन के नेता सुभाष यदुवंश की लड़ाई काफी मुश्किल मानी जा रही थी।
उत्तर प्रदेश में इस सीट पर सबसे ज्यादा 6401 वोटर हैं, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या यादव और मुसलमान वोटरों की है. सपा अपने मुस्लिम-यादव समीकरण और राम प्रसाद चौधरी के भरोशे कुर्मी वोट के कारण जीत के प्रति आश्वस्त थी. वहीं सुभाष यदुवंश के लिए यह चुनौती इसलिए भी बड़ी थी क्योंकि बस्ती में भारतीय जनता पार्टी विधानसभा की 5 में से 4 सीटें हार गई थी. सिद्धार्थनगर में भी कैबिनेट मंत्री सतीश दिवेदी और हिंदू वाहिनी के नेता राघवेंद्र सिंह भी चुनाव हार गए थे।
इस कमिश्नरी में जहां बीजेपी के सात विधायक थे, तो 6 विधायक सपा के भी थे।ऐसे में सुभाष यदुवंश के लिए चुनाव बड़ा ही चुनौतीपूर्ण था। बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और संगठन में दक्ष सुभाष ने सभी जातीय समीकरणों को धता बताते हुए 4280 वोट से चुनाव जीत लिया। सुभाष यदुवंश को इस चुनाव में जहां 5167 वोट मिले, वहीं अखिलेश के करीबी रहे सपा के संतोष सन्नी यादव को महज 887 वोट मिले।
एमएलसी की 36 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी ने 33 सीट जीत ली है। 9 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध जीत चुके थे। वहीं मंगलवार को कुल 27 सीट पर गिनती हुई, जिनमें से 24 सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की है।