नोएडा: सुबह कलश यात्रा मे काफी लोग ने आनंद के साथ यात्रा निकली और जगह जगह भक्तो ने स्वागत किया ।
श्रीमद भागवत कथा श्रवण महात्म्य बताते हुए संत जीवेश शास्त्री ने बताया कि
यह मनुष्य का जीवन जो हम लोगों को सौभाग्य के रूप में प्राप्त हुआ है, वह एक ऐसा अवसर है जहां से अनंत प्रकाश की यात्रा प्रारंभ होती है।
ऐसे जीवन की यात्रा मात्र जलने, कुढ़ने,चिढ़ने,तड़पने में ही नष्ट हो जाती है। व्यक्ति यह भूल ही जाता है कि मनुष्य का जीवन वस्तुस्थिति में एक अवसर के रूप में हमको मिला है। जो इस अवसर का सही सार्थक व सम्यक उपयोग करना जान जाते हैं, उनके जीवन की यात्रा उनको परमात्मा तक ले जाती है।
यदि हम सब कुछ जान गए, परन्तु स्वयं को न जान सके तो जो भी जाना वह व्यर्थ ही है,निरर्थक है, मूल्यविहीन है।अपने को जानने की यात्रा ही अध्यात्म की यात्रा है और स्वयं के भीतर छिपी हुई परंतु सोई हुई शक्तियों को जगाने का जो विज्ञान है वह अध्यात्म विज्ञान है l स्वयं को जानने का मतलब औरों का जो हमारे प्रति मंतव्य है जिसे हम पब्लिक ऑपिनियन कहकर के पुकारते हैं उसको जानना नहीं है बल्कि अपने मन पर,इंद्रियों पर पूर्ण वशीकार के भाव को स्थापित कर लेना है। यदि हम सच में स्वयं को जानते तो हमारे मन में एक भी विचार ऐसानहीं आता जिसको कि हम नहीं आने देना चाहते,परंतु ऐसा होता कहां है?
हमें खुद को भी नहीं पता कि कब कहां से कौन सा विचार प्रकट होऐगा और हमारे मन की शांति को छीनकर चला जाएगा।
पड़ोसी की नई गाड़ी आते ही हमारी गाड़ी हमें पुरानी लगने लगती है दूसरों की नौकरी में पदोन्नति मिलते ही हमें हमारी नौकरी छोटी लगने लगती है जीवन अनजाने में ही एक प्रति स्पर्धा में बदल जाता है क्योंकि हमारा मन बड़ा ही चंचल एवं असंतुष्ट है।
प्रश्न उठता है की मन आखिर इतना चंचल क्यों है तो उसका एक कारण यह है कि मन तो एक इंद्री है एक उपकरण है परंतु हम उसको मालिक बनाकर बैठे हैं। जो हम नहीं भी सोचना चाहते होंगे, वह भी मन सोचता है जो हम नहीं भी करना चाहते होंगे वह मन करता है, वह ना किसी की सुनता है,न समझता है क्योंकि वह था तो इंद्रिय हमने संपूर्ण व्यक्तित्व का एकाधिकार उसको दे दिया है।
इस कथा का आयोजन सुपरटेक केपटाउन सेक्टर 74 नोएडा में किया गया है