अमेरिका कितने फ्रंट पर एक साथ काम करता है, इसकी बानगी है नई हिंडनबर्ग रिपोर्ट। इसके द्वारा वह बंग्लादेश में भारत को प्रभावी तरीके से रिटेलियेट करने के आत्मविश्वास को तोड़ना चाहता है कि भारत खुद अपनी गिरती अर्थव्यवस्था के डर में डूब जायेगा और हिचकिचाहट के साथ पीछे हट जायेगा।
यानी हसीना का तख्ता पलट,फिर अमेरिका का निगेटिव रुख और भारत द्वारा हसीना को सपोर्ट देने से और सरकार द्वारा बंग्लादेश के हिंदुओं और अवामी लीग के लोगों को एकजुट करने और प्रदर्शन करने की रणनीति को बाधित करने के लिए फिर से सक्रिय हो गया है।
आज दुबारा सेबी के डायरेक्टर पर हिंडन ने करके सेंसेक्स ३०० प्वाइंट गिरा दिया है।
यह अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र भारत के अंदर से इंडी गठबंधन को सूट करने जैसा है,इसलिए बंग्लादेश मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरकर अब अंबानी अडानी के बहाने माहौल खराब करके कमजोर करने का मौका उठा रही है।
पर क्या भारत की अर्थव्यवस्था और निवेशक इतने कमजोर हैं जो ऐसे आरोपों से सफलतापूर्वक निपट नही सकते ?
निश्चित ही भारत इस परिस्थिति में भी डटा रहेगा।आगे बढ़ेगा।