सात दिनों से चल श्रीराम कथा में भक्तों ने भरत चरित्र की कथा का किया रसपान
कंचौसी( विपिन गुप्ता) । स्थानीय गाँव के बैकुंठ धाम मंदिर में चल रही श्रीराम कथा में आचार्य सतीश जी ने भरत चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भरत चरित्र की महिमा का वर्णन तो त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु, महेश यहां तक कि श्रीराम भी करने में असमर्थ थे। मैं कौन सी महिमा का वर्णन करूं, सिर्फ भरत जी के विषय में परिचय दे सकता हूं। उनके चरित्र का वर्णन करना सबके बस की बात नहीं। माता कैकेई की कुटिलता बताते हुए बोले माता कैकेई ने विवाह से पूर्व ही राजा दशरथ से शर्त करा ली थी कि मेरे गर्भ से जन्म लेने वाला बालक ही राजा बनेगा। इस सन्धि पर गुरुदेव वशिष्ठ, मंत्री सुमन्त, राजा दशरथ, कैकैनरेश और माता कैकेई स्वयं ये पाँचों लोगों ने हस्ताक्षर किया था। समझौता पत्र पर इसलिए गुरु वशिष्ठ बोले जो पाँचों मत लागै निका इसी बात का फायदा उठाते हुए मंथरा ने कैकेई को अपने पक्ष में कर लिया।
राम भरतति की अनुहारी सहसा देखि न सकहि न नारी का वर्णन करते हुए बताया कि करि श्रृंगार पलना पौढ़ाये अर्थात माता कैकेई ने राम और भरत का श्रृंगार करके एक बार एक ही पलंग पर सुला दिया। कुछ देर बाद विस्मित हो गयी कि इसमे राम कौन है और भरत कौन है। तीनों माताएं स्वयं राजा दशरथ विस्मित हो गये कैसे पहचाना जाय ? तब गुरु वशिष्ठ जी ने दोनों की पहचान बताई। कहा कि जिसका मुख राम जी के चरणों की ओर हो वही भरत होगा और जो भरत जी के मुख को ताकता होगा वहीं राम होगा। आज वहीं भरत प्रयागराज से निज धर्म को त्यागकर राम जी के चरणों की अनुरक्ति मांग रहे हैं।