गाजीपुर। महर्षि यमदग्नि की तपोस्थली और भगवान परशुराम की जन्मस्थली नगर पालिका के हरपुर मेंं बने परशुराम का मंदिर को पर्यटन के रुप में विकसित करने की मांग उठने लगी है। यह मांग भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी ( विचार विभाग ) के महासचिव डा० राजेश शर्मा ने उठाई है। श्री शर्मा ने कहा है कि जमानियां की ख्याति जमदग्नि ऋषि और भगवान परशुराम से है अतः प्रदेश और देश की सरकार इसे शीघ्र राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर पर्यटन का दर्जा दे।
जनपद गाजीपुर के जमानियां तहसील का नाम जमदग्नि ऋषि के नाम पर पड़ा है। मान्यता है कि आज से ढाई सौ वर्ष पूर्व सकलडीहा कोट के तत्कालीन राजा वत्स सिंह ने पूर्ण धार्मिक अनुष्ठान के साथ भगवान परशुराम की मूर्ति की प्राण- प्रतिष्ठा की थी। तभी से नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा यूपी, बिहार, एमपी सहित अन्य प्रांतों के लोग यहां पूजन-अर्चन के लिए पहुंचते हैं।
एनएच-24 किनारे हरपुर में स्थित मंदिर कई मामलों में अनूठा है। यह अष्टकोणीय और पंचायतन है। राजा वत्स ने ही मंदिर के पूरब कोने में भगवान गणेश, पश्चिम तरफ कोने में भगवान सूर्य नारायण, उत्तर तरफ मां भगवती के साथ पूरब-उत्तर के कोने में भगवान शंकर की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी। इन चारों देवी-देवताओं के बीच भगवान परशुराम की मूर्ति विराजमान है। यह मंदिर दो बिस्वा में फैला हुआ है।
किवंदती है कि राजा वत्स की रियासत जमानियां में होने के कारण वह अपने यहां आते थे। एक दिन रात्रि में भगवान परशुराम स्वप्न में आकर उनसे कहा कि मेरे पिता यमदग्नि के आश्रम के सामने गंगा के बीच में मेरी मूर्ति है जिसे निकलवाकर 360 धनुष की दूरी पर मुझे स्थापित करें, जिससे क्षेत्र का कल्याण हो सके। सुबह राजा ने तुरंत मछुआरों मूर्ति निकलवाई। इसके बाद राजा ने 360 धनुष की दूरी को नापा तो नगर पालिका क्षेत्र का हरपुर पड़ा जहां राजा ने अनुष्ठान के साथ भगवान परशुराम की मूर्ति प्रतिष्ठित कर मंदिर बनवाया।