Monday, April 14, 2025
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व्यास का अर्थ है ग्रंथ की गूढ़ता व गहराई को सरल शब्दों में व्याख्या कर ज्ञान का विस्तार करें – अरविन्द भाई ओझा

व्यास का अर्थ है ग्रंथ की गूढ़ता व गहराई को सरल शब्दों में व्याख्या कर ज्ञान का विस्तार करें – अरविन्द भाई ओझा

मोहित त्यागी

मोदीनगर। आज छतरी वाला शिव मंदिर मोदीनगर में चल रही हनुमत कथा में कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा ने व्यास पीठ कथा व्यास की व्याख्या करते हुए कहा कि व्यासपीठ भगवान व्यास का स्थान है जो इसपर बैठता है उसे इसकी मर्यादा का ध्यान रखते हुए ग्रंथ की गूढ़ता व गहराई की सरल शब्दों में व्याख्या कर ज्ञान का विस्तार करना चाहिए।
आगे बोलते हुए उन्होंने कहा की श्री हनुमान जी एक श्रेष्ठ कथावाचक है उन्होंने भगवान राम की कथा सुना कर माता सीता जी के दुखों को दूर कर दिया और भारत और शत्रुघ्न को कथा सुना कर उनके जीवन को आनंदित किया।
उन्होंने कहा कि हम अपने जीवन में भक्ति प्राप्त करना चाहते है तो हमे अपनी बुद्धि,बल,पद व परिवार के झूठे अभिमान को त्याग कर भगवान की शरण में आना चाहिए क्योंकि जहाँ जहाँ अभिमान होता है वहाँ भगवान नहीं आते | हनुमान जी अभिमान को त्यागकर भगवान और भक्त दोनों की सेवा करते है वे भगवान की कथा भक्तों को सुनते हैं और भक्तों की व्यथा भगवान को सुनते हैं इसलिए भगवान श्री राम हनुमान जी को लछमन जी से दोगुना प्रेम करते है |
हनुमान जी ने जीवन में सेवा व तप करते हुए भगवन श्री राम के नाम का निरंतर जाप कर उन्हें अपने वश में कर लिया और वे प्रभु श्रीराम के चरणों की सेवा करते-करते महाप्रभु हो गये ।
भगवान महावीर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कथा व्यास जी ने कहा की जैन पंथ के प्रवर्तक भगवान महावीर ने अहिंसा पर जोर इसलिए दिया क्योंकि महाभारत का जो युद्ध लड़ा गया था वह इतना भयंकर युद्ध था कि उसे युद्ध के बाद भारतीय मानस पटल पर हिंसा सर्वाधिक प्रभावित थी इसलिए मां को को शांत करने के लिए भगवान महावीर ने अहिंसा पर जोर दिया क्योंकि मनुष्य हर समय तनाव की स्थिति में नहीं रह सकता सर्वाधिक समय मनुष्य शांत भाव में ही रहता है।
कथा व्यास जी ने कहा कि भारत की संस्कृति शस्त्र और शास्त्र दोनों की पूजा करती है शास्त्र से अपने जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है और उस मार्ग में अगर कोई बाधा उत्पन्न करता है तो उसका जवाब शास्त्र से देती है। भगवान पर भरोसा कर जो अनन्य भाव से जीवन जीता है भगवान उसे अभय करते है इसी अभयता से ही व्यक्ति अपने प्राणों की चिंता छोड़ कर देश, धर्म, संस्कृति समाज के लिए सर्वस्व बलिदान करने को तैयार होता है। हनुमानजी का सिंदूरी रंग हमें त्याग, समर्पण और बलिदान की प्रेरणा देता है। आज सनातन व हिंदुओं पर संकट का समय है इसलिए हमें अपनी नई पीढ़ी को धर्म संस्कृति समाज से जोड़ने के प्रयत्न करने चाहिए।
आज कथा में आज के यजमान डॉ सचित गोयल, बुद्धप्रकाश , नरेंद्र माहेश्वरी जगमाल ठाकुर विजय मॉल राजेंद्र यादव मेरठ राजीव गाजियाबाद विपिन राठी विपिन त्यागी आदि उपस्थित रहे

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