महाविद्यालय प्रबंधन की गतिविधि संशयात्मक ?
गाजीपुर (14 सितम्बर)। नौ सितम्बर को पी.जी.कालेज में मुख्यमंत्री के आगमन के दौरान विश्वविद्यालय की मांग को लेकर छात्रनेताओं को मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया गया जिससे आक्रोशित नेताओं ने आज रेलवे स्टेशन स्थित श्री शिव दुर्गा मंदिर में छात्र नेताओं की बैठक हुई और पिछले दिनों पीजी कॉलेज के प्रांगण में आये सूबे के मुखिया श्री योगी आदित्यनाथ जी को विश्वविद्यालय संबंधित पत्रक देने से कालेज प्रशासन के प्रभाव में जिला प्रशासन द्वारा छात्र नेताओं को रोकने व बंधक बनाने से छात्रों में आक्रोश व्याप्त है। और आज छात्र नेताओं ने बैठक कर विश्वविद्यालय स्थापना संबंधित पत्रक को डाक के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा।
इस मौके पर पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष दीपक उपाध्याय ने कहा कि छात्रों की समस्याओं को 18 बिंदुओं से इंगित कर गाजीपुर में एक राज्यवित्तीयपोषित विश्वविद्यालय स्थापना व छात्रों को हो रही समस्या को गंभीरता से लेते हुए तत्काल व्यवस्था के तहत पीजी कॉलेज में जौनपुर विश्वविद्यालय का विस्तार पटल खोलने की मांग छात्रों की थी लेकिन कालेज प्रशासन अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए जिला प्रशासन को गुमराह कर छात्रनेताओं को बंधक बनाकर मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया। वही निखिल सिंह ने कहा कि एक जिलाधिकारी 1957 ई0 में रहे हैं जिन्होंने 77 एकड़ सरकारी जमीन का पट्टा व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर लगे यूनिट टैक्स का पैसा लगाकर महाविद्यालय की स्थापना जनहित में किया था जिसे सन् 1982-83 में राधेश्याम जिलाधिकारी ने अपने स्वार्थ में कॉलेज के पदेन अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और जिसका परिणाम हुआ कि सारे अधिकारियों को प्रबंध समिति से बाहर कर दिया गया यह बात वास्तविक ओजस्वी मुख्यमंत्री को पता न चले इसलिए छात्रों को पत्रक देंने से रोका गया। वही पूर्व महामंत्री हिमांशु यादव ने कहा कि जिस अधिकार की लड़ाई पूर्व जिलाधिकारी राजन शुक्ला ने माननीय उच्च न्यायालय में जनहित में पैरवी करते हुए पदेन अध्यक्ष पद कि लड़ाई लडने का काम किये है जिस पर आज भी स्टे है तथा केश पैरवी विहिन है वहीं एक जिलाधिकारी कुशपाल जनहित में इस महाविद्यालय की स्थापना करने का काम किये लेकिन वर्तमान जिलाधिकारी छात्रसंघ प्रतिनिधि मंडल को मुख्यमंत्री से न मिलने का समय देकर विश्वविद्यालय स्थापना में बाधा उत्पन्न कर व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने का काम किये है, जो छात्रों के हित में नहीं है।
अन्त में सभी छात्रों ने एक स्वर में कहा कि सरकारी जमीन और सरकारी पैसे से खुले महाविद्यालय मे हो रही समस्याओं को 18 बिंदुओं में इंगित कर मुख्यमंत्री से मिलने से इस लिए रोक दिया गया कि इस महाविद्यालय को ओजस्वी मुख्यमंत्री द्वारा विश्वविद्यालय न घोषित कर दिया जाए ऐसी संभावना रही जिसके वजह से हम छात्रों को मुख्यमंत्री से दूर रखा गया था। पत्रक न सौप पाने से छात्रों में रोष का माहौल व्याप्त है और पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष दीपक उपाध्याय के नेतृत्व में छात्रसंघ प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री के नाम संबोधित पत्रक को आज रेलवे स्टेशन स्थित डाक घर से भेजा। इस मौके पर पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष दीपक उपाध्याय, पूर्व महामंत्री हिमांशु यादव, प्रवीण पाण्डेय, निखिल सिंह,देव जोशी, प्रमोद राज,अमन यादव,आयान खान,आदित्य पाण्डेय, अरमान खान, राजेश यादव,रोहन यादव, निखिल जोशी, विकास राजभर इत्यादि छात्र मौजूद थे।