अमित शाह की वो रणनीति, जिसने NDA के लिए बिहार में बहार ला दिया : नवीन सांडिल्य
गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार चुनाव में 100 बागियों के साथ बैठक की, बिहार में डेरा जमा कर बैठ गए। ये बागी अमित शाह के अलावा किसी की बात सुनने को तैयार ही नहीं थे। कह रहे थे कि शाह आश्वासन देंगे, तभी मानेंगे। गृहमंत्री दो से तीन दिन कोई कार्यक्रम नहीं किए, सिर्फ बागियों से मिलें और उन्हें मनाया।मीटिंग होते ही सारे बागी मान गए जिससे भाजपा और जेडीयू के प्रत्याशियों को बढ़त मिली।

इतने बड़े नेता होने के बाद भी अमित शाह ने मंडल स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। फिर जिला स्तर तक के कार्यकर्ताओं को चुनाव की तैयारी के लिए बैठकें की।
अमित शाह ने NDA को एकजुट रखने का काम किया।
अमित शाह ने ही लोजपा और जदयू के बीच जमीनी स्तर पर समन्वय करवाया। NDA का पूरा वोट एक साथ आए, उसके लिए माइक्रो प्लानिंग कर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। हर जगह समन्वय के लिए कमेटी बनाई । प्रवासी कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क में रहे और निर्देश दिए। जहां कहीं ज़रूरत पड़ती, पदाधिकारियों के लिए एक फ़ोन पर उपलब्ध रहे ।
आज जो एनडीए की बड़ी जीत हुई, उसमें भाजपा के चाणक्य की बिछाई बिसात बड़ी काम आई
अमित भाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी रात तीन -चार बजे तक चलने वाली बैठकें यूँ ही नहीं होती। उनके लिए चुनाव तपस्या से कम नहीं। मोदी जी का चेहरा और अमित भाई का प्रबंधन, दोनों मिलकर भाजपा को चुनाव जीतने वाली मशीन बना चुके हैं।
